पिछले कई महीनों से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर कोहराम मचा हुआ है. शनिवार को भी दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का स्तर ‘बहुत खराब’ रहा. पिछले एक-दो महीने से दिल्ली-एनसीआर के एयर क्वालिटी इंडेक्स में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कभी एयर क्वालिटी इंडेक्स में थोड़ा सुधार नजर आता है तो अगले ही दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर अचानक से बढ़ जाता है.
भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) के मताबिक, ‘दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता का स्तर लगातार गंभीर बना हुआ है. अगले कुछ दिनों तक भी इसी तरह के हालात बने रहने की संभावना है. अगले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट होने वाली है, जिससे वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है.’
एयर क्वलिटी इंडेक्स बहुत खराब स्तर पर पहुंच गया
मौसम के जानकारों का मानना है कि मौसम की खराबी के कारण प्रदूषक तत्व हवा से अलग नहीं हो पा रहे हैं. हवा की गति लगातार धीमी होती चली जा रही है. इससे वायु की गुणवत्ता और प्रभावित हो सकती है. सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक शनिवार को दिल्ली-एनसीआर के 27 स्थानों पर एयर क्वलिटी इंडेक्स बहुत खराब स्तर पर पहुंच गया.
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 350 के बीच था, जिसे बहुत खराब माना जाता है. शनिवार को भी दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का औसत लेवल 320 के आस-पास रहा. माना जा रहा है कि दिसंबर के पहले और दूसरे सप्ताह तक यही स्थिति बनी रहेगी.
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प्रदूषण के कारण पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में भी तेजी देखने को मिल रही है. दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में पिछले एक महीने में बेतहाशा तेजी आई है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक इस हफ्ते दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता का औसत स्तर 358 रहा. यहां पर बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मानक के मुताबिक, 300 से 400 के बीच एक्यूआई को बहुत खराब और 400 और 500 के बीच एक्यूआई स्तर को बेहद ही गंभीर माना जाता है.
नवंबर महीने के शुरुआत में ही पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के चेयरमैन भूरे लाल यादव ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए थे. ईपीसीए ने एक नवंबर से लेकर 12 नवंबर तक एनसीआर में सभी तरह के निर्माण कार्य पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. स्टोन क्रशर, धूल पैदा करने वाले सभी उद्योग घंधों और साथ ही प्रदूषण फैला रहे दो पहिया, चार पहिया वाहनों के खिलाफ नो-टॉलरेंस की नीति अपना कर भारी जुर्माना भी किया गया था. बाद में इसमें छूट देते हुए ईपीसीए ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही दिल्ली में कंस्ट्रक्शन करने की इजाजत दे दी थी.
मौसम वैज्ञानिक और प्रदूषण पर काम करने वाली सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियां दिल्ली-एनसीआर के स्मॉग चैंबर बनने को लेकर अपना अलग-अलग नजरिया पेश कर रहे हैं. पर्यावरण पर काम करने वाले कुछ संगठनों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करने वाली है. हमलोग इसे मौसमी आपातकाल भी कह सकते हैं.
हम अब सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं
ग्रीनपीस के कैंपेनर अविनाश कुमार चंचल फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए दिल्ली-एनसीआर ही नहीं देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है. एक तरफ सरकार जहां अक्षय ऊर्जा को लेकर महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय कर रही है वहीं दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि सरकार थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन मानकों में ढील देने की तैयारी में है. इस ढील के गहरे मायने हैं, यह सिर्फ जलवायु के लिए ही खतरनाक नहीं है बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी इसके गंभीर असर पड़ने वाला है. दिल्ली-एनसीआर के आस-पास चल रहे थर्मल पावर प्लांट भी लोगों के स्वास्थ्य और हवा को खराब कर रही है. हम पर्यावरण मंत्रालय से गुजारिश करते हैं कि पावर प्लांट के लिए अधिसूचित उत्सर्जन मानकों का कठोरता से पालन करे. साथ ही अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कठोर मानकों को लागू कर प्रदूषण नियंत्रित करे.’
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ईपीसीए चेयरपर्सन भूरे लाल यादव ने पिछले महीने ही एनसीआर की सभी अथॉरिटी को पत्र लिखकर कहा था कि एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं. भूरे लाल यादव ने साफ कहा था कि अब हमारे पास कोई चारा नहीं बचा है, इसलिए हम अब सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं.
एक महीने के बाद भी दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में वायु की गुणवत्ता बेहद ही गंभीर स्थिति में बनी हुई है. खासकर आनंद विहार, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा, मुंडका और रोहिणी जैसे इलाकों में वायु की गुणवत्ता बेहद ही गंभीर बनी हुई है.
दूसरी तरफ सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले कुछ दिनों में प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों और मौसम में बदलाव के कारण वायु की गुणवत्ता में कुछ सुधार नजर आए हैं. सीपीसीबी के आंकड़े कहते हैं कि पिछले दो सालों के मुकाबले यह साल अब तक बेहतर साबित हो रहा है.
यह पिछले 2 साल के मुकाबले कम थी
सीपीसीबी के मुताबिक, अक्टूबर 2018 की बात करें तो इसमें औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 268.6 रहा जो 2017 के 284.9 और 2016 के 270.9 से कुछ बेहतर है. वहीं इस साल नवंबर में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 334.9 रहा जो कि पिछले दो सालों के मुकाबले काफी बेहतर माना जा रहा है.
साल 2017 के नवंबर में 360.9 और 2016 में 374.06 था. नवंबर में दिवाली के बावजूद सुधार देखने को मिला जबकि पिछले साल दोनों बार दिवाली अक्टूबर में थी. इतना ही नहीं 2018 के नवंबर में सबसे ज्यादा एयर क्वालिटी इंडेक्स 426 रहा जो नवंबर 2017 के 486 और 2016 के 497 के काफी बेहतर कहा जाएगा.
बता दें कि एयर क्वाविटी इंडेक्स 100 से कम को सुरक्षित, 100-200 को ठीक-ठाक, 200-300 को खराब, 300-400 को बहुत खराब और 400 या उससे ऊपर को खतरनाक माना जाता है.
सीपीसीबी के मुताबिक, इस बार प्रदूषण पर काफी हद तक रोक लगाया जा सका है. हालांकि, हवा की गुणवत्ता इस साल नवंबर में भी खतरनाक की स्थिति में पहुंच गई थी लेकिन यह पिछले 2 साल के मुकाबले कम थी.
बता दें कि 2 दिसंबर को दुनियाभर में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के तौर मनाया जाता है. हर साल दुनिया में इस दिन लोग औद्योगिक आपदा प्रबंधन और नियंत्रण के लिए जागरूकता का संदेश देते हैं. सरकार की कई एजेंसियां और पर्यावरणविद इस दिन हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कई ऊपायों पर चर्चा करती हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या 2 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर के मौजूदा हालात पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण(ईपीसीए) कुछ कठोर कदम उठाने जा रही है?
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