दिल्ली हाईकोर्ट सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और अन्य की याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुना सकता है. इन लोगों ने रिश्वतखोरी के आरोपों में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है. न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने 20 दिसंबर 2018 को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा था कि अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करते समय सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. शिकायतकर्ता हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी. सना ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, मनमानापन और गंभीर कदाचार के आरोप लगाए थे. सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
सीबीआई ने 15 अक्टूबर 2018 को अस्थाना के खिलाफ FIR दर्ज करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. कारोबारी सतीश बाबू सना की शिकायत के आधार पर आरोप लगे हैं. सना से मोइन कुरैशी मामले की जांच कर रही अस्थाना की विशेष टीम ने पूछताछ की थी. कारोबारी ने आरोप लगाया था कि दुबई के एक बिचौलिये ने विशेष निदेशक से उसके कथित संबंधों की मदद से दो करोड़ रुपये की रिश्वत के बदले उनके लिए राहत का प्रस्ताव रखा था.
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