दिल्ली हाईकोर्ट ने सीलिंग मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के प्रस्तावित संशोधिक मास्टर प्लान पर असहमति जताते हुए कहा कि कुछ लोगों ने 'शहर को बंधक बना लिया है.'
कोर्ट ने शनिवार को यह टिप्पणी सीलिंग अभियान के खिलाफ व्यापारियों के विरोध-प्रदर्शन के संबंध में की.
दरअसल, दिल्ली के व्यापारियों ने आवासीय इलाकों या परिसरों में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग के विरोध में 2-3 फरवरी को अपनी दुकानें बंद कर रखी थी. इसके बाद डीडीए ने मास्टर प्लान में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया. इस पर हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि धरने पर बैठकर 'आप मास्टर प्लान में बदलाव करवा सकते हैं.'
सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए के मास्टर प्लान में संसोधन पर कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कुछ सौ लोग धरने पर बैठ गए.
संशोधन से पहले पर्यावरण पर असर का आकलन किया क्या: कोर्ट
अदालत ने कहा कि ‘मास्टर प्लान में संशोधन किया जा रहा है, क्योंकि व्यापारियों ने अपनी दुकानों को बंद कर के शहर को बंधक बना लिया’. साथ ही अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि क्या मास्टर प्लान- 2021 में प्रस्तावित संशोधन से पहले पर्यावरण पर असर का आकलन किया गया.
कोर्ट ने कहा कि मास्टर प्लान-2021 शहरी योजना और मेट्रोपोलिस के विस्तार के लिए ब्लूप्रिंट है. जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दुकानें और आवासीय प्लॉटों की एक समान दर हों.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में इमारतों के निर्माण को मंजूरी देने के कायदे-कानूनों को ‘पूरी तरह तोड़ा गया’.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अवैध निर्माण पर भी अपनी चिंता जताई थी.
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