दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद अब राकेश अस्थाना पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. रिश्वतखोरी के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की याचिका डाली थी. आज हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी. अब राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द नहीं होगा.
Delhi High Court dismisses the plea filed by CBI's Spl Director Rakesh Asthana and DySP Devender Kumar plea seeking quashing of FIR filed against them pic.twitter.com/zSmYoZlzsl
— ANI (@ANI) January 11, 2019
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि लोक सेवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना उसके लिए बहुत काफी चिंताजनक और तनावपूर्ण होगा. एफआईआर के तहत लगाए गए आरोप जांच का विषय है. यह महत्वपूर्ण है कि कानून दोषी साबित होने तक किसी भी व्यक्ति को निर्दोष नहीं मानती.
Delhi HC: No doubt, registration of an FIR against a public servant will be a cause of great concern and stress for the public servant. Charges under the FIR are a matter of investigation. It is important that law presumes a person is innocent until proven guilty https://t.co/ByLr9nz4vI
— ANI (@ANI) January 11, 2019
सीबीआई 10 हफ्तों के भीतर ही राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच पूरी कर लेगी.
Delhi High Court: CBI to conclude investigation against Rakesh Asthana and Devender Kumar in 10 weeks https://t.co/ByLr9nz4vI
— ANI (@ANI) January 11, 2019
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया, लेकिन सीबीआई से 2 सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
Delhi High Court refuses to grant interim protection to CBI Special Director Rakesh Asthana but asks CBI to maintain status quo for 2 weeks.
— ANI (@ANI) January 11, 2019
क्या है पूरा मामला?
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने 20 दिसंबर 2018 को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा था कि अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करते समय सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. शिकायतकर्ता हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी. सना ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, मनमानापन और गंभीर कदाचार के आरोप लगाए थे. सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
सीबीआई ने 15 अक्टूबर 2018 को अस्थाना के खिलाफ FIR दर्ज करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. कारोबारी सतीश बाबू सना की शिकायत के आधार पर आरोप लगे हैं. सना से मोइन कुरैशी मामले की जांच कर रही अस्थाना की विशेष टीम ने पूछताछ की थी. कारोबारी ने आरोप लगाया था कि दुबई के एक बिचौलिये ने विशेष निदेशक से उसके कथित संबंधों की मदद से दो करोड़ रुपये की रिश्वत के बदले उनके लिए राहत का प्रस्ताव रखा था.
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