दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तरीके से फीस बढ़ाने वाले 449 निजी स्कूलों से दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बढ़ी हुई फीस अभिभावाकों को वापस करने की अपील की है. केजरीवाल ने शुक्रवार संवाददाता सम्मेलन में बताया कि स्कूल अगर अदालत के आदेश का पालन नहीं करते हैं तो सरकार को अंतिम विकल्प के तौर पर इन स्कूलों का प्रबंधन और संचालन अपने हाथों में लेना पड़ेगा.
केजरीवाल ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के नाम पर इन स्कूलों ने स्कूल की फीस बढ़ाई थी, जिसे अदालत ने जस्टिस अनिल देव समिति की जांच के आधार पर गलत पाते हुए सरकार से इस दिशा में की गई कार्रवाई का जवाब मांगा था.
केजरीवाल ने कहा कि ‘सरकार ने अदालत को बताया कि सरकार अनिल देव समिति की सिफारिशों को स्कूलों से लागू कराएगी. जो स्कूल इसे लागू नहीं करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ने पर ऐसे स्कूलों को टेकओवर भी कर सकती है.’
केजरीवाल ने कहा कि अदालत में सरकार के जवाब को लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों से अभिभावकों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते है कि सरकार निजी स्कूलों के खिलाफ नहीं है. शिक्षा को बेहतर बनाने में निजी स्कूलों की भी भागीदारी है.
मौजूदा सरकार ने निजी स्कूलों में बेहतर और सरकारी स्कूलों में बदहाल शिक्षा की खाई को पाटने के लिए सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया है. अभिभावकों द्वारा निजी स्कूलों से अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराना इस बात का पुख्ता सबूत है.
बीते चार महीनों में पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए केजरीवाल ने निजी स्कूलों को शिक्षा सुधार अभियान का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि अदालत के आदेश के घेरे में 449 स्कूलों से हमारी अपील है कि वे बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को वापस कर दें. हमारी मंशा स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की नहीं है, हमारी मंशा सिर्फ इतनी है कि ये स्कूल अनिल देव समिति की सिफारिशें लागू कर दें.
सरकार की शिक्षा को लेकर दोतरफा नीति है
उन्होंने कहा कि शिक्षा को लेकर हमारी दोतरफा नीति है. पहला सरकारी स्कूलों को बेहतर करना और दूसरा निजी स्कूलों में दखल न देते हुए उन्हें अनुशासित करना. अगर कोई निजी स्कूल अभिभावकों को लूटता है तो कोई भी जिम्मेदार सरकार चुप नहीं बैठ सकती है जैसा कि अब तक होता आया है. पहले राजनीतिक दखल के कारण इस लूट को बर्दाश्त किया जाता था.
इसके मद्देनजर उन्होंने एक बार फिर स्कूलों से बढ़ी हुई फीस वापस करने की अपील करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार चुप नहीं बैठेगी. अदालत के आदेश का पालन नहीं करने वाले स्कूलों का अंतिम विकल्प के तौर पर अगर संचालन अपने हाथ में सरकार को लेना पड़ेगा तो सरकार हिचकेगी नहीं.
फीस बढ़ोतरी के मामले में हाई कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस अनिल देव समिति की जांच में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों की पहचान की गई थी. इस पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने इन स्कूलों से बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को वापस करने का नोटिस जारी किया था. लेकिन 449 स्कूलों ने अब तक फीस वापस नहीं की. संवाददाता सम्मेलन में मौजूद शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि चार दिन पहले इन स्कूलों को भी नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है.
समिति ने फीस बढ़ोतरी के मामले में 1108 स्कूलों की जांच की थी. इनमें से 544 स्कूलों को फीस बढ़ोतरी का दोषी बताते हुए इन अभिभावकों को फीस वापस करने को कहा गया था.
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