दिल्ली सरकार ने बंधुआ मजदूरों को बचाने और आर्थिक सहायता देने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिडर (एसओपी) जारी किया है. एसओपी के मुताबिक जिलाधिकारियों (डीएम) या सब-डिविजनल मजिस्ट्रेटों को बंधुआ मजदूरों के संबंध में मिली सूचना को गोपनीय रखना चाहिए. इसी के साथ उन मजदूरों को 24 से 48 घंटे के भीतर बचाया जाना चाहिए.
एसओपी में कहा गया है, 'बंधुआ मजदूर का बचाव इस तरीके से किया जाना चाहिए कि सभी पीड़ितों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित रहे.' एसओपी के मुताबिक, 'पुलिस विभाग समेत अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधियों को मजदूर के बचाव के समय मौजूद रहना चाहिए.' श्रम विभाग के एक अधिकारी के अनुसार यह कदम बंधुआ मजदूरों को बचाने में अलग-अलग विभागों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा.
मालूम हो कि दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने यह एसओपी जारी किया है. इसमें कहा गया है कि बचाए गए पीड़ितों को आरोपियों से अलग रखा जाना चाहिए. और उन्हें जल्द से जल्द डीएम या एसडीएम के कार्यालय ले जाना चाहिए. ताकि वह सुरक्षित रहे.
एसओपी के मुताबिक डीएम या एसडीएम बचाव के बाद पीड़ित का पहचान पत्र भी जांचेगे. अगर उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं है, तो डीएम या एसडीएम की जिम्मेदारी है कि वह बचाव के 48 घंटे के भीतर में उसे आधार कार्ड के आवेदन करने के लिए जरूरी मदद उपलब्ध कराए.
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