दिल्ली की एक अदालत ने कथित रूप से जाली बिल का इस्तेमाल कर अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) पर दावा करने वाले जदयू के पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल कुमार सहनी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने के आदेश दिए हैं. विशेष न्यायाधीश अरूण भारद्वाज ने कहा कि पहली नजर में नेता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सबूत है.
अदालत ने कहा, 'इस अदालत की राय में सहनी ने फर्जी ई-टिकट और बोर्डिंग पास को असली बताकर 14.22 लाख रूपए के टीए/डीए पर दावा करते हुए जाली तरीके से पैसे निकालने की कोशिश की.' अदालत ने कहा, 'टीए दावा आवेदन को नष्ट करने और ई-टिकट से हस्ताक्षर मिटाने/हटाने का भी उनपर आरोप है. इसे उन्होंने नाम की पुष्टि के लिए राज्यसभा सचिवालय के कार्यालय से वापस लिया था.'
दिसम्बर 2012 में दिए थे फर्जी बिल:
दिसंबर 2012 के टीए/डीए बिल के मुताबिक सहनी ने 20 उड़ान टिकट के लिए पैसे लेने की कोशिश की. अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असल बताकर पेश करना) के साथ विभिन्न धाराओं के तहत नेता पर आरोप लग सकता है.
अदालत ने नई दिल्ली में आईजीआई हवाई अड्डा के तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक (यातायात) एन एस नायर, एक अन्य व्यक्ति अरविंद तिवारी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और अन्य अपराध के लिए आरोप तय करने के आदेश दिए. अदालत ने कहा, 'इसके तहत आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए.'
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