बुराड़ी के भाटिया परिवार के 11 लोगों की मौत को खुदकुशी बताने के दिल्ली पुलिस के दावे पर सवालिया निशान लग गया है. न्यूज 18 को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, भाटिया परिवार के सभी 11 लोगों ने खुदकुशी नहीं की बल्कि इनमें से कुछ की हत्या हुई है.
अरुणा आसफ अली अस्पताल के फॉरेंसिक साइंस के सीनियर स्पेशलिस्ट डॉक्टर एलसी गुप्ता के मुताबिक, मरने वाले 11 लोगों में से कुछ की हत्या की गई है. फॉरेंसिक एक्सपर्ट का दावा है कि जिस हालात में शव मिले, उन सभी का खुदकुशी करना संभव नहीं.
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
बुराड़ी इलाके में हुई हत्या और आत्महत्या की तमाम वारदातों के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए सब्जी मंडी मॉर्च्यूरी में लाया जाता है. दिल्ली पुलिस भी रविवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे भाटिया परिवार के 11 लोगों के शव लेकर यहीं पहुंची. लेकिन डॉ. गुप्ता के दावा है कि उसी दिन करीब 4 बजे दिल्ली पुलिस अचानक सभी शवों को लेकर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज चली गई. इस दावे के बाद भाटिया परिवार की मौत की जांच और पोस्टमॉर्टम के तरीके को लेकर दिल्ली पुलिस पर कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं.
शवों का पोस्टमार्टम सूरज ढलने के बाद क्यों किया गया?
कानून के मुताबिक, कोई भी पोस्टमॉर्टम सूरज ढलने के बाद नहीं किया जाता है. अगर स्पेशल या हाइप्रोफाइल केस हो तो सूर्यास्त के बाद पोस्टमॉर्टम हो सकता है लेकिन उसके लिए इलाके के कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी है. क्या इस केस में पोस्टमॉर्टम के लिए कलेक्टर की अनुमति ली गई थी? क्योंकि पुलिस का ही दावा है कि रविवार की रात डॉक्टरों के एक पैनल ने 6 शवों का पोस्टमॉर्टम किया था.
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में जब भी हाइप्रोफाइल केस में पोस्टमॉर्टम होता है तो दिल्ली के 4 अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टरों को बुलाकर टीम बनाई जाती है और वो टीम ही पोस्टमॉर्टम करती है. सवाल यह है कि क्या इस केस में ऐसा हुआ.
क्या पुलिस ने मेडिकल बोर्ड के गठन की अनुमति ली थी?
इस केस में मेडिकल बोर्ड में अस्पताल के 3 जूनियर डॉक्टरों को लिया गया. जबकि उसी अस्पताल में 4 सीनियर डॉक्टर भी हैं. सवाल यह कि उन्हें बोर्ड का सदस्य क्यों नहीं बनाया गया. क्या पुलिस ने मेडिकल बोर्ड के गठन की अनुमति ली थी. अगर ली भी तो रविवार को किसने अनुमति दी.
पुलिस ये इस केस में होमी सुइसाइडल का पहलू सामने क्यों नहीं रखा ?
पुलिस बुराड़ी केस में अंधविश्वास में होने वाले सामूहिक आत्महत्या का दावा कर रही है. पुलिस यह साफ क्यों नहीं कर रही कि इनमें कितने होमी सुसाइडल (हत्या के बाद शवों को फंदे से लटकाना) और कितने सुसाइडल केस हैं?
भाटिया परिवार की सामूहिक खुदकुशी के दावों पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि क्या अपने हाथों को बांधकर और आंखों पर पट्टी लगाने के बाद कोई खुदकुशी कर सकता है? अगर घर में खुदकुशी की तैयारी हो रही थी तो दरवाजा खुला क्यों था?
कई सवाल है जिसके जवाब अनसुलझे हैं
- पाइप 2017 में लगे तो क्या खुदकुशी की योजना कोई महीनों पहले से बना सकता है? - वारदात की रात होटल से खाना आया तो कई लोगों का पेट खाली क्यों था? - घर में भीगा चना और दही रखा था. अगर खुदकुशी करनी थी तो सुबह के नाश्ते की तैयारी क्यों की गई थी? - घर के एक सदस्य ने अलमारी के हैंडल से लटककर जान दी, क्या अलमारी के हैंडल से फांसी लगाई जा सकती है?
भाटिया परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में कई अनसुलझे सवाल है, जिनके जवाब दिल्ली पुलिस को अभी ढूंढने हैं.
(साभार: न्यूज़18)
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