पिछले दिनों पूर्वी दिल्ली के जीटीवी इंक्लेव से अपहृत एक बच्चा रिहानश मुस्कुराता हुआ अपने मां-बाप के गोद में लौट आया है. लेकिन, इस घटना ने दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए एक साथ कई सबक भी दे दिया है. अपहरणकर्ताओं के चंगुल से जिस तरह से बच्चे को छुड़ाया गया है और जिस जगह से छुड़ाया गया है, वह आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने वाला है.
25 जनवरी को देश की राजधानी में हाई अलर्ट के बीच कानून व्यवस्था को धत्ता बताते हुए एक स्कूली छात्र का अपहरण हो जाता है. अपहरणकर्ताओं के द्वारा सरेआम एक स्कूली बस के ड्राइवर को गोली मारकर 5 साल के एक मासूम बच्चे का अपहरण कर लिया जाता है.
गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले हुई इस वारदात ने दिल्ली की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. दिन-दहाड़े और सरेआम बस ड्राइवर को गोली मारकर अपहरण की इस घटना ने दिल्ली पुलिस को भी सन्न कर दिया. अपहरण की इस वारदात के बाद दिल्ली पुलिस ने केस को सुलझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. स्थानीय पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और कई जिलों के तेज-तर्रार पुलिस अधिकारियों को इस केस को सुलझाने में लगाया गया.
व्हाट्सऐप वीडियो से मांग रहे थे फिरौती
लेकिन, चालाक और शातिर अपहरणकर्ता दिल्ली पुलिस को लगातार चकमा दे रहे थे. अपहरणकर्ता अपने पीछे किसी तरह का कोई सुराग नहीं छोड़ रहे थे. अपहरण के तीन बाद अपहरणकर्ताओं ने फिरौती में 50 लाख रुपए की डिमांड ने दिल्ली पुलिस को थोड़ी राहत दी कि बच्चा अभी भी जिंदा है. यानी दिल्ली पुलिस अब अपहरण के एंगल से ही जांच शुरू करने लगी. दिल्ली पुलिस की कई टीम बच्चे की खोज में लग गई.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक अपहरण के कुछ दिन बाद अपहरणकर्ता ने एक वीडियो के जरिए फिरौती मांगनी शुरू कर दी. हर रोज अपहरणकर्ता बच्चे का वीडियो भेजता था. लेकिन, पुलिस की परेशानी ये थी कि वो इस नंबर को ट्रेस नहीं कर पा रही थी, क्योंकि ये मोबाइल नंबर सिर्फ व्हाट्सऐप के जरिए वीडियो भेजने के लिए ही इस्तेमाल किए जा रहे थे.
बच्चे की कुशलता बताने के लिए लगभग हर रोज व्हाट्सऐप वीडियो परिवार को भेजा जाने लगा. यह व्हाट्सअप नंबर अलग-अलग नंबरों से भेजे जा रहे थे. जिसे भेजने के बाद तुरंत ही बदल दिया जाता था. लेकिन, एक दिन एक व्हाट्सऐप में एक किडनैपर्स का चेहरा दिख गया.
दिल्ली पुलिस को उस चेहरे से कुछ सुराग मिलते दिखाई दिया. अपहरणकर्ताओं ने थोड़ी देर के लिए इस नंबर का इस्तेमाल कॉल करने के लिए भी किया था. तभी पुलिस ने सर्विलांस के जरिए लोकेशन का पता लगा लिया. लोकेशन गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके की आ रही थी. जबकि, पुलिस कई दिन से सिर्फ दिल्ली में ही हाथ-पैर मार रही थी.
इस तरह मिला सुराग
दिल्ली पुलिस के लिए अब परेशानी ये थी कि साहिबाबाद के शालीमार सिटी में बच्चे को कहां तलाशा जाए. तभी वीडियो को गौर से देखने पर पता चला कि घर के अंदर का डिजाइन किसी फ्लैट जैसे कमरे का है.
पुलिस ने शालीमार सिटी इलाके के कुछ अपॉर्टमेंट के फ्लैट का डिजाइन देखना शुरू कर दिया. पुलिस की थ्योरी का डिजाइन शालीमार सोसाइटी के फ्लैट से मिल गया. पुलिस ने चुपचाप सोसाइटी पर निगाह रखनी शुरू कर दी.
दिल्ली पुलिस को सोसाइटी के आस-पास नीतिन नाम का एक युवक मिला जिसकी शक्ल सीसीटीवी फुटेज और व्हाट्सऐप वाले चेहरे से मिल रही थी. दिल्ली पुलिस ने तुरंत ही नितिन को हिरासत में ले लिया. बाद में पुलिस की तफ्तीश में नितिन ने सबकुछ उगल दिया. नितिन की निशानदेही पर ही दिल्ली पुलिस ने साहिबाबाद के फ्लैट पर रात लगभग 1 बजे के आसपास पहुंची और बाद में एनकाउंटर में एक अपहरणकर्ता मारा गिराया.
कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के पॉश इलाकों में भी अब किडनेपिंग जैसी घटनाओं का अंजाम देकर पनाह ली जाने लगी है. साहिबाबाद के शालीमार सिटी एरिया भी काफी हाई-फाई एरिया माना जाता है. सबसे ताज्जुब की बात यह है कि आस-पास रहने वाले लोग भी इस घटना से बेपरवाह थे.
सोसाइटी में रहने वाले लोगों का कहना है कि बच्चे के रोने की आवाज अक्सर आती थी. लेकिन, हमलोग इसपर ध्यान नहीं देते थे. हमलोगों को इस तरह की घटना का अंदेशा नहीं था. कुछ साल पहले भी इसी सोसाइटी में एक महिला को बंधक बना कर लूट-पाट की घटना को अंजाम दिया गया था. जबकि, सोसाइटी में सीसीटीवी और गार्ड्स की तैनाती हर समय रहती है.
11 दिनों तक एक पांच साल के बच्चे को बिना मां-बाप के कमरे में कैद कर रखना जितना चौकाने वाली घटना नजर आ रही है. उससे कहीं ज्यादा सोचने वाली बात सोसाइटी के लोगों को बच्चे के बारे में भनक नहीं लगना है. ऐसे में हम कह सकते हैं कि जब भी आपके पड़ोस में किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दे तो उसको अनसुना न करें.
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