दिल्ली भारत की सबसे अधिक प्रदूषित शहर बन चुका है. हाल यह है कि राजधानी के दस युवाओं में आठ का फेफड़ा कमजोर हो चुका है. इसमें 20 साल से कम उम्र के लोग शामिल है.
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस आंकड़े को जारी किया है हजार्ड सेंटर नामक संस्था ने. ये रिपोर्ट ऐसे समय में आया है जब संसद में पर्यावरण राज्यमंत्री महेश शर्मा ने इसकी गंभीरता को मानने से इनकार कर दिया. 5 फरवरी, 2018 को राज्य सभा (संसद के ऊपरी सदन) के जवाब में महेश शर्मा ने कहा कि बीमारी और वायु प्रदूषण के बीच प्रत्यक्ष या विशेष सहसंबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक डेटा नहीं है.
संस्था ने 10 अक्टूबर 2017 से 10 अक्टूबर 2018 कर पीएम 2.5 पार्टीकुलेटेड मैटर को मापा गया. इसमें कुल 343 बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य की निगरानी की गई. जिसमें इस बात का पता चला.
मध्यमवर्गीय लोग आते हैं प्रदूषण की चपेट में
हाल ही में इंडिया स्पेंड नामक संस्था ने एक आंकड़ा जारी किया था. इसके मुताबिक देशभर के कई शहरों में फेफड़ा संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.
इंडियास्पेंड ने 14 नवंबर, 2017 को जारी रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि भारत में प्रदूषण की वजह से 27% आबादी की मौत हुई है. इसके बाद चीन में एक अध्ययन के मुताबिक कम और मध्यम-आय वाले समूह प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में कई संस्थाएं और निकायों ने इस समस्या को कम करने के लिए जो कुछ किया गया है, उसे लागू करने के बजाय हर सर्दियों में नई योजनाओं के लिए वकालत की जा रही है.
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