देश की राजधानी दिल्ली में नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में एडमिशन की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. पिछले कई सालों की तरह इस साल भी अभिभावकों को स्कूलों के कायदे-कानून से हर रोज दो-चार होना पड़ रहा है. यूं कहें कि इस साल भी बच्चों का एडमिशन कराने में अभिभावकों के पसीने छूटने की शुरुआत हो चुकी है. प्राइवेट स्कूलों के हर साल बदलते कायदे-कानून के चक्कर में दिल्ली जैसे शहरों में बच्चों का दाखिला कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं साबित हो रहा है.
हम आपको बता दें कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने इस साल स्कूलों के भेदभाव और बदलते मापदंडों को दूर करने के लिए पहले से ही हिदायत दे रखे हैं. इसके बावजूद स्कूलों की मनमानी ने इस साल भी अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ा दी है. अपने बच्चों के दाखिले को लेकर अभिभावकों के बीच चल रही मगजमारी का ये दौर अगले कुछ दिनों तक अभी और चलेगा.
दिल्ली में इस बार प्रेप में एडमिशन के लिए 31 मार्च 2018 तक बच्चे की उम्र 4 साल से अधिक होनी चाहिए, जबकि नर्सरी के लिए बच्चे की उम्र 3 साल से अधिक होना चाहिए. राजधानी के लगभग 1700 प्राइवेट स्कूलों में सवा लाख नर्सरी सीटों के लिए तकरीबन दो लाख अभिभावक इस बार फॉर्म भर रहे हैं.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार आतिशी मार्लेना ने बुधवार को कहा, 'इस बार किसी भी अनुचित मापदंड का निर्धारण करने के लिए स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
आतिशी मारलेना ने ट्वीट कर बताया कि दिल्ली के 1700 प्राइवेट स्कूलों में वित्तीय गड़बड़ियों और फीस बढ़ोतरी की जांच के लिए सरकार की एजेंसियां लगातार काम कर रही हैं.’
All 1700 private schools in Delhi to be audited to ensure there are no financial malpractices and excessive fee hikes by the schools pic.twitter.com/fFvLpIO65G
— Atishi Marlena (@AtishiMarlena) December 27, 2017
हम आपको बता दें कि दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों के एडमिशन फार्म ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रियाओं से मिलने शुरू हो गए हैं. अगले 17 जनवरी तक यह फार्म मिल सकेंगे और 17 जनवरी को ही फार्म भरने की आखिरी तारीख भी होगी. चयनित छात्रों की लिस्ट 15 फरवरी को आ जाएगी और 31 मार्च 2018 तक एडमिशन प्रक्रिया को बंद भी कर दिया जाएगा. सभी निजी स्कूलों को अपने-अपने वेबसाइट पर पूरी प्रक्रिया के बारे में बताना होगा.
अभिभावकों को किसी भी तरह की शिकायत और परेशानी होने पर शिक्षा निदेशालय के वेबसाइट http://doepvt.delhi.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी गई है. अभिभावक किसी भी प्राइवेट स्कूल की मनमानी और गलत तरीके से पैसा वसूलने की मांग को लेकर इस वेबसाइट के जरिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली के कई नामी स्कूलों के आवेदन की प्रक्रिया तो ऑनलाइन की गई हैं, लेकिन ऑनलाइन फार्म भरने के बाद आवेदन पत्र को स्कूल में जमा कराना भी पड़ रहा है. फार्म भरने की पूरी जानकारी नहीं होने के कारण कुछ अभिभावक पहले और दूसरे दिन भी स्कूल में ही फार्म लेने पहुंच गए. अभिभावकों को जब फार्म ऑनलाइन मिलने और जमा स्कूल में कराने की जानकारी मिली तो वैसे अभिभावकों को थोड़ी निराशा हाथ लगी.
गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूलों में साल 2018-19 सेशन के लिए अपर एज लिमिट जो फिक्स की गई थी, उसे इस बार लागू नहीं किया गया है. इसको लेकर दिल्ली शिक्षा निदेशालय का कहना है कि अभिभावकों को पूरा वक्त मिले इस वजह से 2019-20 में अब यह नियम लागू किया जाएगा. नर्सरी, केजी और क्लास वन के लिए साल 2019-20 सेशन के लिए एज लिमिट कर दिया गया है. नर्सरी के लिए 4 साल से कम, केजी के लिए 5 साल से कम और पहली कक्षा से 6 साल से कम उम्र कर दी गई है. दिल्ली शिक्षा निदेशालय का कहना है कि मैनेजमेंट कोटा, डिस्टेंस कोटा और कई तरह के फैक्टर पिछले साल की तरह ही रहेंगे.
पिछले कुछ महीनों से अभिभावक अपने बच्चों की उम्र को लेकर काफी सशंकित थे. अभिभावकों के बीच यह चर्चा चल रही थी कि इस बार एंट्री लेवल क्लासेज के लिए अधिकतम उम्र निर्धारित कर दी जाएगी. अधिकतम उम्र निर्धारित होने के डर से जिन अभिभावकों ने पिछले साल अपने बच्चों का दाखिला इस साल के भरोसे छोड़ रखा था, वे लोग काफी निराश थे. सरकार की इस साल अपर एज लिमिट क्राइटेरिया को लागू नहीं करने की घोषणा से उन अभिभावकों में अब खुशी की लहर दौड़ गई.
रोहिणी सेक्टर 6 के रहने वाले मुकंद बिहारी मिश्रा फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, मेरा बेटा पिछले साल 3 साल 4 महीना का था. पिछले साल हमने एडमिशन इसलिए नहीं कराया क्योंकि मैंने पिताजी और बड़े बुजुर्गों की बात पर एडमिशन टाल दिया. अब मेरा बेटा 4 साल 4 महीने का हो गया है. अगर नर्सरी के लिए एज लिमिट कर दी जाती है तो मेरे बेटे का इस साल एडमिशन नहीं हो पाता. इस लिहाज से हम जैसे लोगों को सरकार के इस निर्णय से खुशी मिली है.’
कुल मिलाकर राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के लिए अभिभावकों की भागमदौड़ की शुरुआत भी हो गई है. स्कूलों के तरह-तरह के शर्तों ने अभिभावकों को रुलाना भी शुरू कर दिया है. स्कूलों के द्वारा अभिभावकों के क्वालिफिकेशन से लेकर उनके बच्चों की संख्या के बारे में भी पूछा जा रहा है. अभिभावकों को स्कूल में अपने धर्म और सैलेरी का भी हिसाब-किताब देना पड़ रहा है.
इसके बावजूद भी अभिभावक को स्कूल में एडमिशन की पूरी उम्मीद नहीं बंध पा रही है. दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने इस साल स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. स्कूलों की लॉटरी की वीडियोग्राफी से लेकर एडमिशन प्रक्रिया के सारे दस्तावेजों को अगले तीन महीने तक बचा कर रखने की बात भी कही गई है. अब देखना यह है कि इसके बावजूद भी क्या स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसी जा सकेगी?
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