कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेना के कुछ गैरजरूरी विभागों को बंद करने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले से सेना के 57 हजार जवान और अफसरों को पुन:नई तैनाती दी जाएगी. जानकारों की मानें तो नई तैनाती के बाद ये जवान और अफसर सीधे मुकाबले वाले काम यानी लड़ाकू मोर्चे पर आ जाएंगे.
ये फैसला एक जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया गया है. सेना में ये एक बड़ा रिफॉर्म माना जा रहा है. मंगलवार को रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर मुहर लगा दी है. लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेखटकर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी.
सरकार ने इस कमेटी की कई सिफारिशों को मान लिया है. सूत्रों की मानें तो रक्षा मंत्रालय ने कमेटी की 65 सिफारिशों को मान लिया है. ऐसा माना जा रहा है पुन: तैनाती की ये कार्रवाई 2019 तक पूरी कर ली जाएगी.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा था कि क्या आज मिलिट्री फॉर्म हाउस, सैन्य पोस्टल सर्विस या अलग-अलग सिग्नल सर्विस और आर्मी बेस वर्कशॉप की जरूरत है? सेना की इस कवायद से उस जगह के लिए जवान और अफसर मिलेंगे जहां इनकी जरूरत है.
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