केरल से हजारों किमी दूर बैठे लोग भी तस्वीरों के जरिये केरल की बाढ़ की विभीषिका को समझ सकते हैं. तकरीबन 7 लाख लोग बेघर हो चुके हैं. पानी में फंसे 22 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है. चार सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. बाढ़ से हालात भयावह हैं. एनडीआरएफ और सेना के जवान जोश और मुस्तैदी के साथ बाढ़ में फंसी जिंदगियों को बचाने में जुटे हुए हैं.
केरल में भीषण बाढ़ से राज्य के 12 जिले प्रभावित हैं. अबतक कुल 8 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका जताई जा रही है. इन सबके बीच केरल की बाढ़ को राजनीतिक दल राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केरल बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है. राज्य सरकार की भी मांग है कि केरल में जल-कहर से मचे कोहराम को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए.
ऐसे में सवाल उठता है कि फिर केंद्र सरकार को केरल में कुदरती कहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में दिक्कत क्या है? दरअसल, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के मुताबिक किसी भी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं है.
साल 1999 में ओडिशा में भयंकर चक्रवात से कहर बरपा था. लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने उसे राष्ट्रीय आपदा नहीं माना था. इसी तरह साल 2001 में गुजरात में भीषण भूकंप आया. केंद्र सरकार ने उसे भी राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया. जबकि ये दोनों ही आपदाएं मानव निर्मित नहीं बल्कि कुदरती थीं. तत्कालीन केंद्र सरकार ने इन्हें अप्रत्याशित गंभीर आपदा भर माना था.
जब भी कोई राज्य किसी प्राकृतिक आपदा या कुदरत के कहर का शिकार होता है तो वो केंद्र सरकार से मदद मांगता है. जिसके बाद ये केंद्र की जिम्मेदारी होती है कि वो राज्य को आपदा से निपटने और उबरने में मदद करे. केंद्र मदद मांगने वाले राज्य को एनडीआरएफ, सेना, नौसेना, वायुसेना की मदद मुहैया कराता है.
अगर किसी दुर्घटना, आपदा या कुदरती तबाही के बाद राज्य का आपदा प्रबंधन कोष कम पड़ जाए तो फिर केंद्र सरकार उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सकती है. किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर केंद्र सरकार को राहत और बचाव कार्य के लिए सौ प्रतिशत अनुदान देना होता है.
केरल के संदर्भ में राष्ट्रीय आपदा का मुद्दा अब दिनों-दिन पीछे छूटता जा रहा है क्योंकि केरल में केंद्र सरकार ने शुरुआत से ही मोर्चा संभाला हुआ है. पीएम मोदी ने बाढ़ राहत कोष से 500 करोड़ के राहत-पैकेज का ऐलान किया तो वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी 100 करोड़ की राहत का ऐलान कर चुके हैं. एनडीआरएफ और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. ऐसे में केरल को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिये जानमाल के भारी नुकसान के बावजूद फिलहाल केंद्र सरकार किसी जल्दबाजी या फिर मजबूरी में दिखाई नहीं दे रही है. केरल में केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के बाद की जिम्मेदारियां और तैयारियां भी अभी से ही पूरा कर रही है.
आपदा से जुड़े मौजूदा कानून में देश में आई किसी भी आपदा से राष्ट्रीय आपदा के स्तर पर ही निपटने का निर्देश है. वैसे भी पिछले साल संसद में गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने असम में बाढ़ के मुद्दे पर कहा था कि बाढ़ की समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना समस्या का समाधान नहीं है.
अमेरिका में किसी आपदा को अमेरिकी राष्ट्रपति ही राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हैं. उस घोषणा के बाद ही फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी आपदा से निपटने की जिम्मेदारियां उठाती हैं. लेकिन भारत में आपदा से निपटने के लिये व्यवस्था बेहतर है. कोई भी आपदा राष्ट्रीय हो या न हो, केंद्र से जुड़ी संस्थाएं तुरंत ही राहत और बचाव कार्य में जुट जाती हैं.
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