जम्मू-कश्मीर की रहने वाली एक 26 वर्षीय मुस्लिम महिला के साथ उसी के सगे मामा द्वारा दुष्कर्म और जबरदस्ती शादी कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रमुख को पीड़ित महिला की सुरक्षा का आदेश दिया है.
पीड़िता की दोस्त सीमा भोरिया ने वकील सत्या मित्रा की मदद से इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका के अनुसार पीड़िता के 40 वर्षीय मामा बीते कई दिनों से उसके साथ दुष्कर्म कर रहे थे. जब हिम्मत जुटा के पीड़िता ने यह बात अपने परिवारवालों को बताई तो उन्होंने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाए दोनों की शादी कराने का फैसला कर लिया.
मालूम हो कि पीड़िता केवल 26 साल की है और दुष्कर्मी 40 साल का. यहां तक की वह शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं. इससे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि उसने अपनी ही भांजी के साथ गलत किया.
पुलिस और दुष्कर्मी के काफी नजदीकी रिश्ते हैं
इस मामले के खिलाफ पीड़िता स्थानीय पुलिस के पास जाने से भी हिचक रही थी क्योंकि पुलिस से उसके परिवारवाले और मामा का बहुत ही नजदीकी संबंध था. लेकिन बाद में शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने पीड़िता को श्रीनगर के एक शेल्टर होम में रख दिया.
इसके बाद ही पीड़िता की दोस्त सीमा भोगिया ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की याचिका दायर की.
शुरुआत में तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पहले जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ले जाने की बात कही. फिर बाद में मामले की संजीदगी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई को राजी हो गया.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने अपने फैसले में जम्मू-कश्मीर पुलिस और पीड़िता के परिवार से अगले दो हफ्ते तक जवाब की मांग की है. वहीं प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को पीड़ित महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
ये जानना जरूरी है कि पीड़िता अभी बॉयोटेक्नॉलिजी में एम.एस.सी कर रही है.
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