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कमाऊ जोड़े को मिलेगा इनकम टैक्स में छूट का तोहफा!

मोदी सरकार कमाऊ जोड़े के हित में कुछ कदम उठा सकती है

Updated On: Jan 16, 2017 09:06 AM IST

FP Staff

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कमाऊ जोड़े को मिलेगा इनकम टैक्स में छूट का तोहफा!

अमेरिका में अगर पति-पत्नी एक साथ रिटर्न फाइल करते हैं तो उन्हें अलग-अलग रिटर्न फाइल करने वाले जोड़ों के मुकाबले 50 फीसदी तक कम टैक्स चुकाना पड़ता है.

भारत में परिवार की एक इकाई के मायने हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) और गोवा के नागरिकों से लगाया जाता है. लेकिन दोनों का दायरा सीमित है. जहां एचयूएफ के दायरे में सिर्फ परिवार की संपत्ति आती है, वहीं गोवा के वे ही नागरिक इस दायरे में हैं, जो पुर्तगाली फैमिली लॉ को अपनाते हैं.

भारत में कामकाजी जोड़ों की संख्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है. अपने परिवार खासतौर पर बच्चों के आराम की कीमत पर ये जोड़े देश की जीडीपी में काफी योगदान करते हैं. ऐसे में फाइनेंस मिनिस्टर को ऐसे जोड़े को टैक्स छूट देकर बढ़ावा देना चाहिए. इस तरह की छूट तलाक होने पर भी खत्म नहीं करना चाहिए.

क्या कहा था इंदिरा गांधी ने

एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था कि जिनकी जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है उन्हें धरती पर अलग नहीं करना चाहिए. उनका मानना था कि पति-पत्नी एक ही इकाई हैं. अब मोदी सरकार भी कमाऊ जोड़ों के हित में कुछ कदम उठा सकती है.

1996 में जब पी चिदंबरम फाइनेंस मिनिस्टर थे तब उन्होंने अधिक टैक्स जमा करने के नाम पर पर्सनल और कॉर्पोरेट टैक्स को मिलाना शुरू कर दिया. जेटली को चिदंबरम की इस पुरानी नीति से खुद को अलग करके करदाताओं को कुछ फायदा देना चाहिए.

फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली को इस साल बजट में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) खत्म करके 80एल लाना चाहिए. डीडीटी के तहत पर्सनल टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स दोनों पर डिविडेंड देना पड़ता है. जबकि 80एल के तहत सिर्फ कॉरपोरेट टैक्स पर डिविडेंड लिया जाता है.

80 एल को वापस लाने की सिफारिश क्यों?

विधवा और रिटायर बुजुर्गों का पेंशन भी डीडीटी के दायरे में आता है. इन लोगों की आमदनी का कोई जरिया नहीं होने के बावजूद अमीरों की तरह डीडीटी देना पड़ता है.

जिन लोगों की आय का कोई जरिया नहीं है, उन्हें भी अमीर व्यक्तियों की तरह टैक्स देना पड़ता. पिछले साल जेटली ने 10 लाख रुपए से ज्यादा की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स लगाया था, लेकिन यह कदम पर्याप्त नहीं था.

हालांकि पिछले साल जेटली ने 10 लाख से अधिक के डिविडेंड पर 10 फीसदी का टैक्स लगाया था. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. डीडीटी को पूरी तरह समाप्त करना चाहिए.

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