चिंगदाओ में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के कुछ दिन बाद ही भारत में चीन के राजदूत ल्यू झाओहुई ने चीन, भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर एक त्रिपक्षीय समिट का प्रस्ताव सामने रखा है.
चीनी राजदूत ने एक सेमिनार में बोलते हुए कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अलग भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच एक त्रिपक्षीय समिट का आयोजन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने भी इसकी सलाह दी है.
इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज में चीनी राजदूत ने कहा, 'अगर चीन, रूस और मंगोलिया के बीच त्रिपक्षीय समिट संभव हो सकती है तो हम चीन, पाकिस्तान और भारत के बीच क्यों नहीं कोशिश कर सकते हैं.'
इसके अलावा चीनी राजदूत ने कहा, 'हम डोकलाम जैसी दूसरी घटना नहीं खड़ी कर सकते. हमें सीमा पर शांति बनाए रखने के प्रयास करने चाहिए.'
चीनी राजदूत ने यह भी कहा कि चीन और भारत के बीच संबंध द्विपक्षीय संबंधों से कहीं आगे निकल गए हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई साझा हित मेल खा रहे हैं और एशिया और कई मोर्चों पर एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
भारत और पाकिस्तान इसी साल एससीओ के पूर्ण सदस्य बनें और दोनों देशों ने हाल ही में चीन में संपन्न हुए समिट में हिस्सा लिया था.
एक साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना करें चीन और भारत
चीनी राजदूत ने ट्वीट कर 5C को प्रोमोट करते हुए कहा, 'चीन-भारत के संबंधों को सुधारने के लिए 5C के साथ आगे बढ़ना चाहिए, कम्युनिकेशन, कोऑपरेशन, कॉन्टैक्ट्स, कोऑर्डिनेशन और कंट्रोल.'
इसके साथ ही उन्होंने सिनेमा, खेल, पर्यटन, संग्रहालय और युवाओं के क्षेत्र में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने को कहा.
साथ ही उन्होंने कहा, 'चीन लगातार धार्मिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा. साथ ही चीन तिब्बत में कैलाश मानसरोवर की यात्रा में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था करेगा.' चीनी राजदूत ने कहा कि हमें एससीओ, ब्रिक्स, जी20 में समन्वय और सहयोग को बढ़ाकर एक साथ वैश्विक चुनौतियों को हल करना पड़ेगा.
चिंगदाओ में हुए द्विपक्षीय मुलाकात से पहले इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान में अनौपचारिक मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों और एशिया के दो बड़े देशों के बीच दूरियों को खत्म करने पर चर्चा की थी. चिंगदाओ में हुए बैठक के बाद पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को भारत आमंत्रित भी किया है जिसे शी जिनपिंग ने स्वीकार कर लिया है.
भारत और चीन के बीच अभी चीन और पाकिस्तान के बीच बीआरआई रोड को लेकर गतिरोध है. यह रोड पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है और इस वजह से भारत इसका विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि यह परियोजना इसकी संप्रभुता के खिलाफ है. एससीओ समिट में भी भारत एकमात्र ऐसा देश था, जिसने चीन की इस परियोजना का विरोध किया था.
कांग्रेस ने चीनी राजदूत द्वारा त्रिपक्षीय बातचीत के सुझाव का विरोध करते हुए कहा है कि हमारा पक्ष रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों का निपटारा द्विपक्षीय बातचीत द्वारा ही हो. इसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जा सकता. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि भारत सरकार को चीनी राजदूत के इस बयान की निंदा करनी चाहिए.
We strongly condemn the statement of the Chinese ambassador. We hope government of India will also condemn his statement. Our stand has been that the issues between India and Pakistan should be solved bilaterally: Manish Tewari, Congress (File pic) pic.twitter.com/czvVFohjmA
— ANI (@ANI) June 18, 2018
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