गुजरात सरकार ने शनिवार को मॉब लिंचिंग की बढ़ रही घटनाओं और फेक न्यूज के चलन को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने कहा कि मॉब लिंचिंग और इसके पीछे भीड़ को उकसाने वाली कोई भी अब घटना भारतीय आचार संहिता के सेक्शन 153(A) के तहत आएंगी. इन मामलों में तय आरोपियों को 3 साल की जेल की सजा मिलेगी.
मॉब लींचिंग और इससे जुड़ी किसी भी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस कमीशनर्स और एसपी को उनके क्षेत्र का नोडल ऑफिसर चुना जाएगा. बतौर नोडल ऑफिसर उनकी यह जिम्मेदारी होगी कि ऐसी घटनाओं को घटित होने से रोकें.
सरकार द्वारा जारी की गई एक विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि किसी भी तरह का माध्यम चाहे वो सोशल मीडिया हो या कोई दूसरे माध्यम से विस्तारित हो रहा कोई फेक न्यूज, भड़काऊ भाषण, उत्तेजक या आपत्तिजनक साहित्य / लेखन जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाता हो,आदी को सेक्शन 153(A) के तहत लाया गया है.
गुजरात की बीजेपी सरकार ने कहा कि उन्होंने 17 जुलाई को तेहसीन पूनावाला और यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर यह फैसला लिया है. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि किसी को भी यह हक नहीं है कि वो गौ रक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में ले.
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