नक्सली संगठन- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की खबर है. खबरों के मुताबिक, नम्बला केशव राव को इस प्रतिबंधित संगठन का प्रमुख बनाया गया है. सूत्रों के मुताबिक, राव ने नक्सल-माओवादी आंदोलन का प्रमुख चेहरा और शीर्ष नेता व पार्टी महासचिव मुप्पला लक्ष्मण राव की जगह ली है. लक्ष्मण राव का एक और नाम गणपति भी है और यह शख्स अपने इसी नाम से ज्यादा मशहूर है. इस सिलसिले में विभिन्न सूत्रों से मिल रही खबरों की मानें तो गणपति ने अपने पद से इस्तीफा देकर नम्बला केशव राव उर्फ बासवराज के लिए जगह बनाई है यानी केशव राव को इस प्रतिबंधित संगठन का नया प्रमुख बनाया है.
हालांकि, सीपीआई (माओवादी) ने इस सिलसिले में किसी तरह का औपचारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन उच्च स्तर के सूत्रों ने भी बासवराज को इस प्रतिबंधित संगठन के मुखिया के पद पर पदोन्नत किए जाने को लेकर पुष्टि कर दी है.
वामपंथी चरमपंथ (एलडब्ल्यूई) के खिलाफ निपटने की दिशा में काम कर रहे विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रतिबंधित संगठन में शीर्ष स्तर पर इस तरह का बदलाव माओवादी आंदोलन में एक तरह की नई ऊर्जा का संचार कर सकता है. दरअसल, सरकार की तरफ से विकास संबंधी योजनाओं को सक्रियता के साथ पेश करने और नक्सल गतिविधियो और संगठनों के खिलाफ सुरक्षा बलों के आक्रामक रुख के कारण यह हिंसात्मक आंदोलन फिलहाल थोड़ा सा रक्षात्मक मुद्रा में नजर आ रहा है और इससे जुड़े लोगों को अपना और संगठन का अस्तित्व बचाने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
नम्बला केशव राव कौन है?
नम्बला केशव राव का ताल्लुक आंध्र प्रदेश में मौजूद श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेत गांव से है. यह शख्स इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है. राव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (वारंगल) से की है. इस कॉलेज को अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) के नाम से जाना जाता है. इस प्रतिबंधित संगठन में सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभालने से पहले यह शख्स ऊपर से दूसरे नंबर के नेता व संगठनकर्ता के तौर पर सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन नामक इकाई का नेतृत्व करता रहा है.
कई बड़े माओवादी हमलों के पीछे इसी शख्स की अहम भूमिका मानी जाती रही है. दरअसल, इस तरह के मामलों की रणनीति बनाकर उसे अंजाम देने के मामले में राव को बेहद आक्रामक शख्स के रूप में जाना जाता रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केशव राव की असली ताकत सैन्य संबंधी तरकीबों में विशेषज्ञता और विस्फोटकों के इस्तेमाल के मामले में है. सूत्रों की मानें तो खास तौर पर इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) के उपयोग के मामले में इस शख्स के एक्सपर्ट होने की बात कही जाती है.
सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) केंद्रीय स्तर पर सीपीआई (माओवादी) की गुरिल्ला गतिविधियों, रणनीति तैयार करने और हथियारों की खरीदारी और आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है. जहां तक सरकार और पुलिस के खिलाफ अभियान में आक्रामकता की बात है, तो इस शख्स को इस मोर्चे पर काफी सक्रिय माना जाता है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह प्रतिबंधित संगठन अपना अस्तित्व और सक्रियता बनाए रखने के लिए काफी हद तक सेंट्रल मिलिट्री कमीशन पर निर्भर है.
इसके अलावा, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अंदर कई उप-कमेटियां भी हैं. जहां तक उप-कमेटियों की बात है, तो इसके दायरे में स्पेशल एरिया मिलिट्री कमेटी और जोनल मिलिट्री कमेटी जैसी इकाइयां आती हैं. इन इकाइयों को भी क्षेत्रवार आधारित जरूरतों के हिसाब से बांटा जाता है.
किसी खुफिया एजेंसी से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'नम्बला केशव राव की प्रमुख ताकत गुरिल्ला युद्ध कौशल में उसकी मजबूत सैन्य तरकीब और आईईडी के नए-नए रूपों के उपयोग को लेकर उसकी सक्रियता के तौर पर है. वह न सिर्फ जमीनी स्तर पर रणनीति को लेकर आक्रामक है, बल्कि उसके मार्क्सवादी-लेनिनवादी-माओवादी विचारधारा को लेकर काफी प्रतिबद्ध होने की भी बात कही जाती है.'
सीपीआई (माओवादी) में नंबर दो की हैसियत संभालने से यह पहले यह शख्स तकरीबन तीन दशकों तक पूरी तरह से भूमिगत रहा था. वह पुलिस और सुरक्षा बलों को लगातार चकमा देने में सफल रहा है। इस शख्स को सिर्फ एक बार 1980 में आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त दो छात्र संगठनों- सीपीआई-एमएल और पीपुल्स वॉर के तत्कालीन छात्र संगठन रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (आरएसयू) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच टकराव हुआ था और इस सिलसिले में राव को गिरफ्तार किया गया था.
छत्तीसगढ़ पुलिस में बस्तर रेंज के आईजी विवेकानंद ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, 'नम्बला केशव राव के सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बनने को लेकर चर्चा पिछले कुछ समय से चल रही है. हालांकि, हमारे पास इस नए घटनाक्रम को लेकर अब तक किसी तरह की पुष्ट सूचना नहीं है. यह शख्स हाल-फिलहाल तक सीपीआई (माओवादी) के मिलिट्री प्लानिंग और ऑपरेशंस का काम करता रहा है और उसे इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज का एक्सपर्ट भी माना जाता रहा है. गौरतलब है कि माओवादियों और दुनिया भर के वाम चरमपंथियों द्वारा इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज को ही मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.'
केशव राव ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के माओवादी इलाके और छत्तीसगढ़ के दंडाकरण्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इस तरह की गतिविधियों के सिलसिले में काम किया है.
नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस बल के अलावा बासवराज की तलाश नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को भी है. एनआईए कई माओवादी हमलों में बासवराज की भूमिका के लिए उसकी तलाश कर रही है. नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी ने बासवराज पर 10 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है.
इस बैठक के बाद संगठन के नेतृत्व में बदलाव की राह बनी
फरवरी 2017 में सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी की बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रस्ताव पास कर इस प्रतिबंधित संगठन के वरिष्ठ नेताओं से अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने को कहा गया था और अपेक्षाकृत युवा पीढ़ी के लिए राह बनाने की बात भी कही गई थी.
पिछले कुछ समय से इस प्रतिबंधित संगठन को नेतृत्व संकट का सामना करना पड़ रहा है. खास तौर पर दूसरी कतार के नेतृत्व के मामले में ऐसा देखने को मिल रहा है. इस साल सितंबर में सीपीआई (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशनदा ने कहा था कि शिक्षित और बौद्धिक युवाओं की कमी के कारण पार्टी दूसरी कतार का नेतृत्व तैयार करने में नाकाम रही है. उनके मुताबिक, इससे संगठन के विस्तार और माओवादी कार्यकर्ताओं के जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण पर भी असर पड़ा है.
गणपति बनाम बासवराज
एक ओर जहां 71 साल के गणपति को विचाराधारा के स्तर पर बेहद मजबूत शख्स के रूप में जाना जाता है, वहीं दूसरी तरफ नम्बला केशव राव उर्फ बासवराज की ताकत उसकी हिंसात्मक रणनीतियां और कौशल के रूप में मानी जाती है.
गणपति नाम से मशहूर यह शख्स पहले स्कूल शिक्षक था. इस शख्स ने सीपीआई-एमएल पीपुल्स वॉर (पी डब्ल्यू) के संस्थापक के. सीतारमैया (केएस) के साथ करीबी तौर पर मिलकर काम किया है. हालांकि, बाद में वैचारिक मतभेदों के बाद के सीतारमैया को बाहर कर दिया गया और गणपति ने इस प्रतिबंधित संगठन की बागडोर अपने हाथ में संभाल ली. इस शख्स के कार्यकाल में विभिन्न नक्सल संगठनों विशेष तौर पर पीडब्ल्यू ग्रुप और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को एक दायरे में लाकर सीपीआई (माओवादी) का गठन देखने को मिला.
तकनीकी पृष्ठभूमि और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) को लेकर लंबे अनुभव के कारण नम्बला केशव राव उर्फ बासवराज द्वारा सरकार के लिए नई तरह की चुनौती पैदा करने की आशंका है. माना जा रहा है कि बासवराज द्वारा इस प्रतिबंधित संगठन की कमान संभालने के बाद सरकार के खिलाफ नक्सलियों के अभियान में ज्यादा आक्रामकता देखने को मिल सकती है. साथ ही, रणनीतियों और रुख में भी बदलाव नजर आ सकता है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में हाल में हुए कई माओवादी हमलों और आंध्र प्रदेश के आराकू में तेलुगू देसम पार्टी के विधायक के. सर्वेश्वर राव की हत्या में बासवराज की अहम भूमिका रही है.
( इस लेख को अंग्रेजी में यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है.)
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.