मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा, मौजूदा चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, ग्रुप के आठ निदेशकों और ग्रुप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ये नोटिस वाडिया ग्रुप के चेयरमैन नुस्ली वाडिया की मानहानि की शिकायत पर भेजा था.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एम. आई लोकवाणी की अदालत ने शनिवार को यह नोटिस जारी किया और इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 मार्च 2019 तय की है. वाडिया ने 14 दिसंबर को अपना बयान दर्ज कराया था.
टाटा और चंद्रशेखरन के अलावा अजय पिरामल, अमित चंद्रा, इशत हुसैन, नितिन नोहरिया, रनेंद्र सेन, विजय सिंह, वेणू श्रीनिवासन, राल्फ स्पेथ और ग्रुप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एफ. एन. सूबेदार को यह नोटिस जारी हआ है.
क्या है वाडिया का दावा?
वाडिया ने यह शिकायत 2016 में तब दर्ज कराई जब उन्हें ग्रुप की कुछ कंपनियों से बाहर कर दिया गया था. वाडिया ने दावा किया कि 24 अक्टूबर 2016 को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमेन पद से हटाने के बाद कई लोगों ने उनके खिलाफ मानहानी के बयान दिया.
वाडिया भारतीय होटल कंपनी के बोर्ड में शामिल थे जो ताज ग्रुप होटल, टीसीएस,टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसे कंपनी चलाते थे. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें दिसंबर 2016 और फरवरी 2017 के बीच विशेष रूप से आयोजित सामान्य बैठक में शेयरधारकों ने वोट करके हटा दिया था.
वाडिया के वकील अबाड पांडा ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत को बताया टाटा संस के लोगों ने आरोप लगाया था कि वाडिया मिस्त्री के साथ मिलकर काम कर रहे थे और इस तरह वो टाटा ग्रुप के हितों के खिलाफ ही काम कर रही थे.
(भाषा से इनपुट)
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