दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी, जिसमें शिक्षकों के लिए हाजिरी लगाना अनिवार्य बनाया गया है. इस सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर छुट्टी का कोई आग्रह स्वीकार नहीं होगा, फिर चाहे उन्हें विदेश में सम्मेलनों में शामिल क्यों न होना हो.
न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने अधिकारियों के 13 नवंबर 2018 के सर्कुलर पर रोक लगा दी और सर्कुलर को चुनौती देने वाले एक शिक्षक की याचिका पर जेएनयू प्रशासन से जवाब मांगा. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए तीन मई की तारीख तय की. सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका ‘सेंटर फॉर इनफॉर्मल सेक्टर एंड लेबर स्टडीज’ की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद ने दायर की. अर्चना को छह से 16 दिसंबर 2018 तक दक्षिण अफ्रीका में एक सम्मेलन में भाग लेना था और उन्होंने नौ अक्टूबर को छुट्टी का आवेदन दिया था लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने 13 नवंबर के सर्कुलर के कारण उनकी छुट्टी मंजूर नहीं की.
अर्चना ने 21 से 25 जनवरी तक एक कार्यक्रम के लिए ‘द सैम मोयो अफ्रीकन इंस्टीट्यूट फॉर एग्रेरियन स्टडीज’ से आमंत्रण मिलने पर 13 दिसंबर 2018 को छुट्टी हेतु आवेदन किया था. अर्चना ने 20 से 27 जनवरी तक छुट्टी मांगी लेकिन दो जनवरी को उपस्थिति नियमों का पालन नहीं करने के आधार पर इसे फिर से खारिज कर दिया गया. अदालत ने जेएनयू को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तीन दिन के भीतर उनकी छुट्टी मंजूर करने का निर्देश दिया.
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