बेंगलुरु में अगर गड्ढे आप की जान नहीं लेंगे, तो राजनेता का बेटा आपकी जान ले लेगा. शनिवार को बैंगलुरु ये यूबी मॉल स्थित फर्जी कैफे में हुई घटना से तो यही सबक मिलता है. फर्जी कैफे में कांग्रेस के एक विधायक के बेटे और उसके गुंडों ने मिलकर विद्वत नाम के शख्स को बुरी तरह पीटा था. विधायक के बेटे की गुंडागर्दी का आलम ये था कि वो विद्वत को धमकाने के लिए उस अस्पताल तक जा पहुंचा था, जहां इलाज के लिए विद्वत को भर्ती कराया गया था. 24 साल के विद्वत को इतनी बुरी तरह मारा-पीटा गया कि ये चमत्कार ही है कि वो आज जिंदा है.
ये करतूत शांति नगर से कांग्रेस विधायक एन ए हारिस के बेटे मोहम्मद हारिस नालापद और उसके गुंडों की है. बुरी तरह जख्मी विद्वत का वीडियो देखकर आप विचलित हो जाएंगे. परेशान हो जाएंगे. आपको बहुत गुस्सा आएगा. शांति नगर या बैंगलुरु ही नहीं, पूरे कर्नाटक के लोगों को इस गुस्से को आज से कुछ महीनों बाद होने वाले चुनाव तक बनाए रखना होगा.
विद्वत के साथ फर्जी कैफे में हुई वारदात, तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है के जुमले की, सत्ता की हनक की और गुंडागर्दी की बड़ी मिसाल है. अब तक ऐसी हरकतें हम दिल्ली में ही देखते थे. मगर अब सत्ता का गुरूर लिए फिरने वाले राजनेताओं के लड़के बेंगलुरु में भी बेकाबू हो रहे हैं. क्या आपको मालूम है कि विद्वत ने ऐसा क्या किया था, जिसकी वजह से उसे मोहम्मद हारिस नालापद के गुस्से का शिकार होना पड़ा? असल में जब मोहम्मद नालापद फर्जी कैफे में दाखिल हुआ, तो विद्वत ने अपने पैर फैला रखे थे. असल में विद्वत को कुछ महीने पहले पांव में फ्रैक्चर हो गया था. इसी वजह से उसने पैर फैला रखा था, क्योंकि उसका जख्म पूरी तरह से भरा नहीं था. बस इतनी सी बात पर मोहम्मद भड़क गया और झगड़ा हो गया.
हम इस हालात तक कैसे पहुंच गए?
असल में हिंदुस्तान के हर इलाके में नेताओं की ऐसी बेलगाम औलादों की करतूतें हम देखते रहते हैं. किसी छुटभैये से लेकर बड़े नेता तक, उनकी औलादों में बाप से ज्यादा गुरूर होता है सत्ता का. ये नेता हमेशा ही अपनी संतानों को ही आगे बढ़ाते हैं. बाप की सियासत के ये वारिस, सत्ता की हनक में खुद को ही हुकूमत समझने लगते हैं. जबकि न तो ये चुने हुए नेता होते हैं. न इनकी सत्ता के प्रति जवाबदेही होती है. नेताओं की ये बिगड़ी हुई औलादें ही उन तक पहुंचने का जरिया होती हैं. यूं लगता है कि नेताओं के ये बिगड़ैल बेटे नेतागीरी के मैदान में उतरने से पहले अभ्यास कर रहे होते हैं, कि वो चुने जाने के बाद कैसा बर्ताव करेंगे.
इस दौरान नेताओं की औलादें, काले धंधों से पैसे कमाने, चुनाव के लिए जल्द से जल्द फंड जुटाने, पैसे और गुंडागर्दी का इस्तेमाल अपने हक में करने का फन सीखते हैं. जो जिनता बेहतर करता है, वो उतना ही आगे जाता है नेतागीरी में.
इस मामले में मोहम्मद नालापद ने अपनी काबिलियत अच्छे से साबित कर दी थी. यही वजह है कि उसे बेंगलुरु में यूथ कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था. मोहम्मद नालापद अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में कारोबार करने वालों के बीच काफी सक्रिय था. वो अपनी ताकत का खुलकर इस्तेमाल करता था. लेकिन, कभी भी उसके विधायक पिता ने अपने बिगड़ैल बेटे को रोकने की कोशिश नहीं की. न ये समझाया कि सार्वजनिक जीवन की मर्यादा की लक्ष्मण रेखा न लांघे.
इस घटना ने बेंगलुरु पुलिस की भी पोल खोल दी है. विद्वत के दोस्त रमेश गौड़ा ने आरोप लगाया कि घटना के बाद कब्बोन पार्क पुलिस थाने में उन्हें एफआईआर दर्ज करने के लिए भी घंटों बिठाए रखा गया. साफ है कि इस दौरान मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई होगी. थाने के पुलिसवाले अपने बड़े अधिकारियों से इस मामले में कदम उठाने से पहले निर्देश रहे थे. बाद में थाने के इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया और एसीपी का तबादला कर दिया गया.
हद तो तब हो गई, जब शनिवार को हुई घटना के लिए मोहम्मद नालापद को गिरफ्तार करने के बजाय उसे सोमवार को सरेंडर करने का मौका दिया गया. और इसके बाद भी जब वो थाने पहुंचा, तो उसके साथ ताकत की नुमाइश करने के लिए तमाम समर्थक जमा होने दिए गए. साफ है कि मोहम्मद नालापद के साथ पुलिस अपराधी की तरह बर्ताव नहीं करने जा रही. उसके साथ पुलिसवाले नरमी बरत रहे हैं. आखिर वो एक ताकतवर नेता का बेटा जो ठहरा.
मीडिया के दबाव में कांग्रेस ने नालापद को पार्टी से निकाल दिया है. हालात को नाजुक समझते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कि इस घटना के दोषियों को कतई नहीं बख्शा जाएगा. बड़ी अच्छी बात है साहब! जरा सोचिए अगर कर्नाटक में जल्द चुनाव नहीं होने वाले होते, तो क्या पार्टी तब भी नालापद से ऐसी ही सख्ती करती? मोहम्मद नालापद की असल ताकत तो उसका विधायक पिता है.
अब इस केस को चुपचाप दफन कर दिया जाएगा, या सख्त कार्रवाई होगी, ये तो आने वाला वक्त बताएगा. क्योंकि कांग्रेस बड़ी खामोशी से बाप को बचाने के लिए ये माहौल बना रही है कि पूरा मामला एक काबिल विधायक के बेटे के बिगड़ जाने का है. विधायक में कोई खामी नहीं. कांग्रेस ये सवाल भी उठा रही है कि केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े के खिलाफ क्यों बीजेपी ने कार्रवाई नहीं की थी, जब उन्होंने 2017 में सिरसी में एक डॉक्टर को मारा था. बीजेपी कर्नाटक में कानून-व्यवस्था को भी चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है. लेकिन बीजेपी सिर्फ 24 हिंदुओं की संदिग्ध हत्याओं का मामला ही उठा रही है. बीजेपी का कहना है कि ये सभी संघ के कार्यकर्ता थे. सवाल ये है कि विद्वत जैसे आम आदमी की फिक्र कौन करेगा?
अभी पिछले ही हफ्ते, कावेरी विवाद में कर्नाटक को तमिलनाडु पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस अब ढोल पीट रही है कि उसकी कोशिशों से ही बेंगलुरु को ज्यादा पानी मिला. लेकिन मोहम्मद हारिस नालापद की करतूत ने कांग्रेस के इस जश्न मे खलल डाल दिया. असल में कांग्रेस ने नेता का लिबास पहने एक नेता को बेपर्दा किया है. ऐसे गुंडे, जिनसे अगर आम आदमी वाजिब सवाल भी पूछता है, तो उसे अपने हाथ-पैर गंवाने का डर रहेगा. आप तो विद्वत की अस्पताल में ली गई तस्वीरें देखकर ही दहल जाएंगे.
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के बेटे-बेटियां टिकट पाने की कोशिश में हैं. शायद कई जगहों पर बेटों की तकदीर चमक भी जाएगी. और कहीं अगर कर्नाटक के नेताओं के मोहम्मद नालापद जैसे बेटे हैं, तो इस राज्य के नागरिकों को इंसाफ मिलना बहुत मुश्किल है.
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