बैंकों में बिना जुर्माना लगे नकदी जमा की छूट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास के आए अलग-अलग बयानों ने एक वाजिब सवाल खड़ा कर दिया है. भारत की जनता आखिर किसकी बात पर भरोसा करे?
यह सवाल हाल में नोटबंदी के सरकारी फैसले के मद्देनजर अहम हो गया है. क्योंकि यह अब तक साफ नहीं है कि आयकर विभाग लोगों द्वारा जन धन योजना, महिलाओं के लिए खोले गए खातों समेत अन्य निष्क्रिय पड़े या गैर-मौजूद खातों में जमा कराई जाने वाली राशि पर क्या कार्यवाही करेगा.
नकदी जमा पर इन अलग-अलग बयानों को एक बार देखें.
अपना-अपना राग
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में सोमवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने अपनी परिचित शैली में जोर देकर कहा, 'कुछ अफवाह फैलायी जा रही है, गृहिणियों को भड़काया जा रहा है... मेरी माताएं, बहनें जब तक तुम्हारा ये भाई जिंदा है. मेरी माताएं, जब तक तुम्हारा ये लाडला जिंदा है. आप विश्वास कीजिए आपने कड़ी मेहनत कर के जो पांच-पचास रुपया बचाया है, उस पर एक भी सरकारी अफसर आंख भी नहीं लगा पाएगा. आप हिम्मत के साथ बैंक में जमा करवा दीजिए, खाता खुलवा लीजिए, ब्याज भी आएगा. मेरा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसी माता-बहनों से पूछेगा नहीं कि ये ढाई लाख रुपया आया कहां से.'
एक दिन बाद मंगलवार को दास ने जो कहा, उससे इसका मिलान कर के देखें. उन्होंने दावा किया कि सभी जमा नकदी पर सरकार की करीबी निगाह है और जो लोग देश भर में गरीबों को नकदी जमा करने पर मजबूर कर रहे हैं- जिनके खाते जन धन योजना के तहत खोले गए थे- उन्हें खासकर सतर्क हो जाना चाहिए.
जन धन खातों पर सरकार की 'करीबी निगाह' होने की बात कहने के बाद उन्होंने यह जोड़ा कि जमा करने की अधिकतम सीमा 50,000 रुपये होने के बावजूद कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ऐसे खातों में 49,000 रुपये जमा किए गए. दास के मुताबिक ऐसे लोगों से सवाल किया जाएगा और नियम-कायदों के मुताबिक इसकी जांच की जाएगी.
शनिवार को जेटली ने भी जन धन खातों में नगदी जमा में अचानक आई तेजी पर जोर देते हुए कहा था कि राजस्व विभाग और आयकर विभाग इन पर करीबी नजर रखे हुए है.
सरकार की लोकप्रियता को आंच
दास का बयान मोदी के आश्वासन के खिलाफ जाता दिखता है जो भ्रम पैदा कर सकता है और खासकर एक ऐसे वक्त में जब अफवाहों का बाजार गरम हो, लोगों को उत्तेजित कर सकता है.
मोदी की रैली में उमड़ी भारी भीड़ ने काले धन के खिलाफ उनके फैसले को सराहा और गरीबों व महिलाओं को उनके दिए आश्वासन का स्वागत किया था. इस रैली में ज्यादातर जन धन खाताधारक ही आए थे. ऐसे आश्वासन के बाद अगर मोदी के अफसर पलटे, तो लोग उसे उदारता से नहीं लेंगे.
इतना ही नहीं, जिन लोगों ने यह सोचा था कि वे रोजाना 4500 रुपये के नोट बदलने के लिए लंबी कतारों को बर्दाश्त कर सकते हैं, वे भी इस हालिया घटनाक्रम से हिले हुए हैं. सरकार ने अब फैसला किया है कि अगर आपने एक बार नोट बदल लिए तो दोबारा आपको 500 और 1000 के नोट बदलने के लिए कतार में लगने की छूट नहीं मिलेगी. इसे तय करने के लिए सरकार ने एक बार नोट बदल चुके व्यक्ति की उंगली पर काली स्याही लगाने का फैसला किया है, जैसे चुनाव में मतदान के बाद लगा दी जाती है.
दास के मुताबिक एक ही व्यक्ति को दो बार नोट बदलने से रोकने का फैसला सरकार ने इस सूचना के बाद लिया है कि बैंकों के बाहर भीड़ कम नहीं हो रही थी, जिसकी वजह यह थी कि काला धन छुपाए हुए लोग अपने आदमियों को काला धन सफेद करने के लिए रोजाना या हर दूसरे घंटे एक या दूसरे बैंक में भेजे जा रहे थे.
सरकार के इस कदम के पीछे चाहे जो दलील हो, लेकिन इससे पहले से ही काम के बोझ तले बैंक कर्मचारियों के ऊपर बोझ और बढ़ेगा. यह देश के विभिन्न हिस्सों में और ज्यादा अव्यवस्था को जन्म दे सकता है.
फैसले से क्या हासिल?
सरकार के पास अगर हालिया कदमों के समर्थन में मजबूत कारण हों भी, तो एक तथ्य यह रह ही जाता है कि काले धन का एक हिस्सा छुपे हुए तरीके से बैंकों की वैध लेनदेन के रास्ते आ रहा था. यह नोटबंदी की कार्रवाई के पीछे के मुख्य उद्देश्य को ही चुनौती देता है.
इसके अलावा, इस बात से जुड़ा कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है कि काला धन छुपाए हुए लोग आखिर अपने अवैध नोटों को बदलने के लिए कितनी बड़ी फौज को काम पर लगा सकते हैं और अगर वे ऐसा 30 दिसंबर की समय-सीमा तक करते भी रहे, तो उनके पास मौजूद धनराशि आखिर कितनी बड़ी हो सकती है.
यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि इस कदम की मार वास्तव में कितने जरूरतमंद और ईमानदार लोगों पर पड़ी थी. लोगों ने अब तक मोटे तौर पर नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया है, लेकिन फैसले के बाद जैसी अव्यवस्था फैली है और दुष्प्रचार हुआ है, वह मोदी सरकार की लोकप्रियता को चोट पहुंचाएगा.
दास ने अपने बयान की शुरुआत में ही कहा था कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री समेत दूसरे आला अधिकारियों ने हालात का जायजा लिया है. उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जो कुछ भी कहा था, वह एक उच्चस्तरीय बैठक में किए गए विचार और लिए गए फैसलों का परिणाम था.
शनिवार को जेटली ने कहा था कि कतारों में दूसरी बार खड़े व्यक्तियों पर कोई रोक नहीं है, लेकिन उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि आदर्श स्थिति यह होनी चाहिए कि उक्त व्यक्ति बैंक के खाते में अपना पैसा जमा करवाए और उसके बाद चेक या एटीएम से पैसे निकाले.
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