यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रहे मीटू अभियान के देश भर में रफ्तार पकड़ने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों को शीर्ष स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त करते समय उनके बैकग्राउंड के अलावा सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच भी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट संभावित उम्मीदवार के व्यक्तित्व और व्यवहार के बारे में बताते हैं.
टीम लीज सर्विसेज की वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीति शर्मा ने बताया, 'आज के समय में नियुक्ति प्रक्रिया में सोशल मीडिया की अहम भूमिका है. सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट, टिप्पणी इत्यादि उम्मीदवार के व्यवहार और व्यक्तित्व की ओर इशारा करते हैं.'
सोशल मीडिया खोलता है व्यक्तित्व के कई राज:
उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ उम्मीदवार के ऊपर लगे दोषों का पता चलता है बल्कि वह किसे फॉलो करता है, क्या पढ़ता है और कहां छुट्टियां मनाता है, इस तरह की बहुत सी बातें पता चलती हैं.
उदाहरण के तौर पर, कई वैश्विक कंपनियों वरिष्ठ और मध्यम स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति में उनके व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि की जांच-पड़ताल करती हैं.
सेकुर क्रेडेंशियल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल बेलवालकर ने कहा कि उम्मीदवार के बारे में उसकी पुरानी कंपनी में पता करने के अलावा ड्रग (नशा) और मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराया जाना चाहिए. इसके अलावा, सोशल मीडिया गतिविधियों, पता, शैक्षिक योग्यता, आपराधिक इतिहास आदि के बारे में भी पता करना चाहिए.
मेट्टल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी केतन कपूर ने कहा कि वरिष्ठ पदों पर बैठे कर्मचारियों की नियुक्ति कड़ी जांच-पड़ताल के बाद होनी चाहिए.
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