चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. ड्राफ्ट को कांग्रेस के नेताओं ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को शुक्रवार को सौंप भी दिया.
कांग्रेस ने कहा है कि हम सीजेआई के खिलाफ महाभियोग ला रहे हैं. महाभियोग को सात पार्टियों का समर्थन मिला है. हमारी मांग है कि सीजेआई को हटाया जाए और राज्य सभा सभापति महाभियोग स्वीकार करें. विपक्ष ने उप राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें महाभियोग प्रस्ताव सौंप दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि हमने 71 सांसदों के दस्तखत का प्रस्ताव दिया है. ड्राफ्ट पर दस्तखत करने वाले सांसद कांग्रेस, सीपीआई, एसपी, बीएसपी, एनसीपी और मुस्लिम लीग के हैं.
आपको बता दें कि जजों पर महाभियोग के मामले पहले भी लाए गए हैं. लेकिन अभी तक एक भी ऐसे मामले में महाभियोग साबित नहीं हुआ है. मई 2017 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस सीवी नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई थी. जस्टिस सीवी नागार्जुन रेड्डी पर न्यायिक प्रक्रिया में गैरजरूरी हस्तक्षेप के साथ अपने जूनियर जज के खिलाफ जातीय टिप्पणी और धमकी देने के गंभीर आरोप लगे थे. जजों पर इस तरह के आरोप लगने के बाद महाभियोग चलाने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. कुछ ऐसे ही मामलों पर नजर डालते हैं-
सौमित्र सेन
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन पर महाभियोग चलाने की तैयारी थी. तब हालात ऐसे बन पड़े थे कि वो पहले ऐसे जज होते जिन्हें महाभियोग चलाकर बर्खास्त किया जाता. इस बदनामी से बचने के लिए उन्होंने 2011 में इस्तीफा दे दिया.
राज्य सभा में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था. सेन के खिलाफ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की अगुवाई में गठित एक समिति ने जांच की थी. जांच में सही पाए जाने वाले एक मामले में सेन पर 1983 में 33.23 लाख रुपयों की हेराफेरी करने का आरोप था. ये पैसे उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट की तरफ से एक मामले में रिसीवर बनाए जाने के बाद दिए गए थे. सेन उस वक्त वकील थे.
पीडी दिनाकरण
सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीडी दिनाकरण के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए राज्य सभा के अध्यक्ष ने एक पैनल गठित किया था. महाभियोग की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही जुलाई 2011 में इन्होंने इस्तीफा दे दिया. इनके खिलाफ भ्रष्टाचार, जमीन हड़पने, न्यायिक अधिकारों का बेजा इस्तेमाल करने सहित 16 आरोप लगे थे.
जेबी पर्दीवाला
2015 में राज्य सभा के 58 सांसदों ने गुजरात हाई कोर्ट के जज जेबी पर्दीवाला के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया था. उनपर आरक्षण के मामले में आपत्तिजनक बयान देने का आरोप था.
सांसदों ने अपनी याचिका में कहा था कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ एक केस की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर जो बयान दिया था वह आपत्तिजनक था.
वी रामास्वामी
महाभियोग का पहला ऐसा मामला जस्टिस रामास्वामी का है. 1993 में उनके खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन कांग्रेस के बहिष्कार के कारण यह प्रस्ताव गिर गया था. सदन में यह प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत जुटाने में नाकाम रही थी.
रामास्वामी पर आरोप था कि 1990 में पंजाब और हरियाणा के जज रहने के दौरान उन्होंने अपने आधिकारिक निवास पर काफी फालतू खर्च किया था. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास किया था.
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