संसद के उच्च सदन राज्यसभा में आज यानी मंगलवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश किया जा सकता है. विपक्षी पार्टियां और एनडीए के सहयोगी भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं. वहीं सरकार के पास बजट सत्र खत्म होने से पहले इस बिल को पास कराने का अंतिम मौका है.
लोकसभा ने इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान बीते आठ जनवरी को पारित कर दिया था. राज्यसभा में इसे मंजूरी मिलनी अभी बाकी है.
इंफाल ईस्ट और वेस्ट डिस्ट्रिक्ट में धारा 144 लागू
इस बीच असम समेत अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का कड़ा विरोध हो रहा है. सोमवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा. इंफाल के ईस्ट और वेस्ट जिले में एहतियातन 12 फरवरी तक धारा 144 लागू कर दी गई है. साथ ही यहां इंटरनेट सर्विस भी बाधित कर दी गई है.
Manipur: Section-144 also imposed in Imphal West District until further orders. https://t.co/ONWnp2RO9v
— ANI (@ANI) February 12, 2019
मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे पर हिंसा फैल गई थी और यहां तनाव का माहौल है. रविवार को यहां पुलिस के साथ हुई झड़प में दो पुलिसकर्मियों समेत आठ लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने इस दौरान आक्रोशित महिलाओं की भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे थे.
#NewsAlert – Manipur on the boil, section 144 imposed in Imphal, internet services banned from last night. Citizenship Bill violence in Manipur over the last few days. #CitizenshipAmendmentBill | @karishmahasnat and @maryashakil with more details pic.twitter.com/4LUntjgr5P
— News18 (@CNNnews18) February 12, 2019
मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के CM ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर जताई आपत्ति
इससे पहले सोमवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस बिल को राज्यसभा में पारित नहीं करने की अपील की.
बीजेपी के इन दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृह मंत्री को आधे घंटे तक हुई इस बैठक में पूर्वोत्तर की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी जहां इस विधेयक के खिलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल की बजाय भारत में केवल छह साल रहने और बिना उचित दस्तावेजों के भी देश की नागरिकता मिल सकेगी.
(भाषा से इनपुट)
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