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त्योहारों पर पड़ा नागरिकता संशोधन विधेयक का असर, लोगों ने नहीं मनाया बिहू

केएमएसएस प्रमुख अखिल गोगोई ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने इस साल उत्सव नहीं मनाने का फैसला किया है

Updated On: Jan 14, 2019 08:10 PM IST

Bhasha

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त्योहारों पर पड़ा नागरिकता संशोधन विधेयक का असर, लोगों ने नहीं मनाया बिहू

असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन का असर सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय बिहू उत्सव, असमिया माघ या भोजली बिहू पर भी पड़ा है. माघ बिहू, माघ महीने में फसल के मौसम के समापन का प्रतीक है . इस अवसर पर होने वाले तीन दिवसीय उत्सव को भव्य दावत और अलाव जला कर मनाया जाता है.

प्रदेश के 100 अन्य संगठनों के साथ विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रही कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सदस्य अपने असंतोष का प्रदर्शन करने के लिए 24 घंटे की भूख हड़ताल कर रहे हैं. केएमएसएस प्रमुख अखिल गोगोई ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने इस साल उत्सव नहीं मनाने का फैसला किया है.

फोरम अगेनस्ट सिटीजनशिप एक्ट एमेंडमेंट बिल के अध्यक्ष हिरेन गोहेन ने संगठन के संयोजक मंजीत महंत के साथ मिलकर जनता से अनुरोध किया कि वे पारंपरिक अलाव 'मेजी' की आग में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1955 और नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 की प्रतियां जलाएं. उन्होंने एक बयान में कहा, 'हमें अपनी परंपराओं की रक्षा करनी है. लेकिन साथ ही साथ, हमें संविधान विरोधी विधेयक के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन भी जारी रखना है.'

नागरिकता (संशोधन) विधेयक में उन गैर-मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्होंने तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न से भाग कर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया था. पिछले सप्ताह लोकसभा द्वारा पारित किए गए विधेयक को संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना हैं.

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