सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बच्चों के आधार के तहत पंजीकरण के लिए माता-पिता या अभिभावकों की मंजूरी जरूरी है लेकिन उन्हें बालिग होने पर इस योजना से हटने की इच्छा होने पर इसका विकल्प भी मिलना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने बुधवार को केंद्र की महत्वाकांक्षी आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया लेकिन इसके कुछ विवादास्पद प्रावधानों को हटाते हुए कहा कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा क्योंकि छह साल से 14 साल तक के बच्चों को शिक्षा का मूलभूत अधिकार प्राप्त है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के लिए, जस्टिस एएम खानविलकर और खुद अपने लिए मुख्य फैसला लिखने वाले जस्टिस एके सीकरी ने यह भी कहा कि अगर कोई बच्चा किसी कारण से आधार संख्या नहीं बता पाता तो उसे किसी योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा. अदालत ने कहा कि आधार अधिनियम के तहत बच्चों के पंजीकरण के लिए उनके माता-पिता या अभिभावक की मंजूरी अनिवार्य होगी.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि बालिग होने की उम्र होने पर ऐसे बच्चों, जो माता-पिता की स्वीकृति से आधार के तहत पंजीकृत होते हैं, को योजना का लाभ नहीं लेने की इच्छा होने पर आधार परियोजना से बाहर होने का विकल्प मिलेगा. उन्होंने कहा कि आधार को स्कूल प्रवेश के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता क्योंकि न तो यह सेवा है और ना ही सब्सिडी है.
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