क्या चेतन भगत दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं? चेतन भगत के एक बाद एक ट्वीट देखकर सबसे पहले मेरे मन में यही ख्याल आया. हर साल दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का क्या कहर होता है, यह बात यहां रहने वालों से बेहतर कोई नहीं जान सकता.
हर बार दिवाली के बाद जब दिल्ली का आसमान धुंध से पट जाता है तो यह बहस शुरू होती है कि पटाखों पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. इतना ही नहीं हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में पराली जलाने पर भी रोक लगाने की बात होती है. खैर! फिलहाल एक अहम फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 30 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है.
इस फैसले का क्या असर होगा, यह तो दिवाली के बाद पता चलेगा. लेकिन चेतन भगत ने ट्वीट पर ट्वीट करके अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सांप्रदायिक करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया है, 'क्या मैं पटाखों की पाबंदी पर एक सवाल पूछ सकता हूं. सिर्फ हिंदू त्योहारों में ही ऐसा करने की हिम्मत क्यों आती है? मुहर्रम पर बकरों की बलि पर भी रोक लगे.'
Can I just ask on cracker ban. Why only guts to do this for Hindu festivals? Banning goat sacrifice and Muharram bloodshed soon too?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
सोचिए जरा?
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की हित में लिया है. वैसे भी घर-परिवार और प्रदूषण को लेकर जागरूक लोग या संस्थाएं दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल कम से कम या बंद करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. स्कूलों में बच्चों से यह वादा लिया जाता है कि वे पटाखों के बगैर दिवाली मनाएं.
दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पाबंदी से कारोबारियों को निराशा होनी चाहिए, जिन्होंने माल मंगा लिया है. या फिर बच्चों को जिन्हें पटाखा जलाने का उत्साह होता है और प्रदूषण के बारे में उनकी कोई समझ नहीं होती है. चेतन भगत ने ट्वीट किया है, 'मैं देखना चाहता हूं जो लोग दिवाली से पटाखों को हटा रहे हैं वो दूसरे त्योहारों में खून बहने से रोकते हैं या नहीं.'
Can I just ask on cracker ban. Why only guts to do this for Hindu festivals? Banning goat sacrifice and Muharram bloodshed soon too?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
यंगिस्तान के लिए लिखने वाले चेतन भगत देश में एक जाने-माने नाम हैं. ऐसे में पटाखों पर पाबंदी को किसी समुदाय विशेष से जोड़कर चेतन भगत क्या साबित करना चाहते हैं...यह समझना मुश्किल नहीं है. चेतन भगत का कहना है कि दिवाली पर पटाखों को बंद करना बिल्कुल ऐसा है मानों क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री और बकरीद पर बकरियों की बलि पर पाबंदी लगा दी जाए.
Banning crackers on Diwali is like banning Christmas trees on Christmas and goats on Bakr-Eid. Regulate. Don’t ban. Respect traditions.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
चेतन भगत बार-बार परंपरा की दुहाई दे रहे हैं. अगर उन्हें परंपरा की इतनी ही फिक्र है तो सबसे बड़ी बात जो उन्हें समझना चाहिए दिवाली दियों और मिठाइयों का त्योहार है. पटाखें हम सिर्फ शौक के लिए जलाते हैं.
दिवाली की एक रात में पटाखों की वजह से कई तरह की सांस की बीमारियां होती हैं. खासतौर पर अस्थमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं. पटाखों में लेड, नाइट्रेट, सल्फरडाईऑक्साइड जैसे कई हानिकारक रसायन होते हैं, जिससे आंखों में जलन, दिमाग पर असर, सिर दर्द और सांस की कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है,
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए. चेतन भगत को अपनी लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए युवाओं और बच्चों को पटाखों के बिना दिवाली मनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन उन्होंने ठीक इसका उल्टा किया है. उन्होंने ट्वीट किया है, 'आज अपने ही देश में, उन्होंने बच्चों के हाथ से फुलझड़ी भी छीन ली. हैपी दिवाली मेरे दोस्त.'
आज अपने ही देश में, उन्होंने बच्चों के हाथ से फुलझड़ी भी छीन ली। हैपी दिवाली मेरे दोस्त।
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
इस तरह के बयानों से चेतन भगत किसको उकसाने की कोशिश कर रहे हैं? चेतन भगत ने यह भी कह दिया कि अगर प्रदूषण की इतनी ही फिक्र है तो एक हफ्ते तक अपने घरों में रोशनी न जलाएं या कार का इस्तेमाल करना बंद कर दें. ये किस तरह का तर्क दे रहे हैं. दिवाली एक दिन की होती है. जिसमें आप दिये जलाकर मिठाई खिलाकर अपनी खुशी जताते हैं.
Diwali is 1 day, 0.27% of year. pollution comes from 99.6% days of poor planning and regulation. Fix that. Not make 1 religion feel guilty.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
नवंबर में दिल्ली-एनसीआर का हाल बेहाल
सरकारी स्केल पर दिल्ली की एयर क्वॉलिटी 'सबसे खराब' है. और यह हाल पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने और दिवाली से पहले का है. जबकि दिवाली के बाद हालत और बुरी हो जाती है.
सिस्टम्स ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च यानी एसएएफएआर के स्केल पर दिल्ली की एयर क्वॉलिटी करीब 320 है. यह स्केल 1 से 500 तक है. 1 के पैमाने पर एयर क्वॉलिटी अच्छी मानी जाती है. वहीं 500 सबसे खराब हवा का पैमाना है.
आने वाले दो दिनों के लिए पूर्वानुमान अच्छे नहीं हैं. दिल्ली-एनसीआर की एयर क्वॉलिटी आने वाले दिनों में और बद्तर होने वाली है. सोमवार 9 अक्टूबर को दिल्ली का हवा में PM10 196 से बढ़कर मंगलवार को 201 हो सकता है. इस दौरान PM2.5 120 से बढ़कर 125 हो सकते हैं.
पिछली बार दिवाली के बाद दिल्ली की हवाओं में प्रदूषण का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. उस वक्त दिल्ली में प्रदूषण का लेवल इतना ज्यादा था कि उसे 1952 के लंदन द ग्रेट स्मॉग से कंप्येर किया गया था. दिवाली में पटाखों की पैरवी करने से पहले चेतन भगत को दिल्ली में सर्दियां बितानी चाहिए ताकि उन्हें पता चल सके कि एक दिन की खुशी दिल्लीवालों के लिए पूरे सीजन का गम कैसा बन जाती है.
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