कश्मीर में जल्दी ही उन लोगों को सरकार की तरफ से माफी दी जा सकती है, जिन्होंने 2016 में पहली बार पत्थरबाजी की थी. कहा जा रहा है कि ऐसा सरकार कश्मीर में लोगों का दिल जीतने के लिए कर रही है. ये आदेश केंद्र की ओर से राज्य में नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा के दूसरे दौरे के पहले आया है.
द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक, मंगलवार को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार को आदेश दिया कि वो 2016 में घाटी में फैली अस्थिरता के दौरान उन लोगों को माफ कर दिया जाए, जिन्होंने पहली बार पत्थरबाजी को अंजाम दिया था.
इतना ही नहीं, केंद्र ने सुरक्षाबलों की ओर से चलाई गई पैलेट गन के शिकार लोगों का इलाज का खर्च भी राज्य सरकार को ही उठाने का आदेश दिया है. ऐसे लोगों में वो भी शामिल होंगे, जो या तो घायल हैं या आंशिक रूप से या पूरे तौर पर अंधे हो गए हैं (ऐसे लोगों की संख्या लगभग 26 से 27 है). सरकार कश्मीरी युवाओं के रिहैबिलिटेशन के लिए भी प्रयास कर रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई, 2016 से शुरू हुई इन घटनाओं में करीब 700 कश्मीरी युवाओं पर आपराधिक केस दर्ज हैं. इनमें 40 जेल में हैं और इनमें से 20 की उम्र 19-20 के आसपास की है.
स्क्रॉल के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी ने बताया है कि सरकार ये रुख दिनेश्वर शर्मा की घाटी के पहले दौरे के बाद सबमिट किए गए रिपोर्ट के बाद अपनाया है. हालांकि, ये बात सबकी नजर में आई है कि शर्मा के पहले दौरे ने घाटी में कुछ खास दिलचस्पी नहीं जगाई है और अब वो जल्द ही दूसरे दौरे पर जा रहे हैं, ऐसे में इसके तुरंत पहले लिया गया ये फैसला घाटी में एक सकारात्मक संदेश भेजने का कदम भी हो सकता है. हालांकि, घाटी में सुरक्षाबल पहले की तरह काम करते रहेंगे.
अधिकारी का कहना था कि सरकार उम्मीद कर रही है कि अलगाववादी बातचीत की प्रक्रिया का हिस्सा बनें. सरकार का पूरा ध्यान इस मामले में पिस रही कश्मीरी जनता पर है. सरकार इस दिशा में ध्यान दे रही है.
बता दें, कि घाटी में सक्रिय हिज्बुल-मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को 8 जुलाई, 2016 को सुरक्षाबलों की ओर से मार गिराए जाने के बाद से घाटी में बरसों बाद इतनी अस्थिरता आई थी. तबसे ही घाटी में रोज पत्थरबाजी की घटनाएं हो रही थीं, हालांकि, अभी कुछ दिन पहले भी घाटी के डीजीपी एसपी वैद ने कहा था कि घाटी में पिछले साल के मुताबिक, इस साल पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 प्रतिशत की कमी आई है और इन्होंने इसका श्रेय कश्मीर की जनता को दिया.
इसके अलावा, घाटी में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए भी गृहमंत्रालय ने नए नियम जारी किए हैं. नए नियम के अनुसार घाटी में ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए जवानों के परिजनों को सरकार की ओर से 30 लाख का मुआवजा मिलेगा, जिनमें से 18 लाख राज्य सरकार और 13 लाखा केंद्र सरकार देगी.
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