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CBI Vs CBI: अगली सुनवाई 5 दिसंबर को करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए किसने क्या पक्ष रखा?

सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने इशारा किया कि हमने सीवीसी जांच रिपोर्ट पर अपना जवाब पहले ही सौंप दिया है

Updated On: Nov 29, 2018 04:40 PM IST

FP Staff

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CBI Vs CBI: अगली सुनवाई 5 दिसंबर को करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए किसने क्या पक्ष रखा?

सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने केस की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी है.

सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने इशारा किया कि हमने सीवीसी जांच रिपोर्ट पर अपना जवाब पहले ही सौंप दिया है.

आलोक वर्मा ने सीबीआई डीआईजी एमके सिन्हा के आवेदन से खुद को दूर कर लिया है. इस आवेदन में कई लोगों पर आरोप लगाए गए हैं. वर्मा के वकील नरीमन ने कहा कि यह सवाल उठता है कि यदि सिन्हा का आवेदन कोर्ट के देखने से पहले ही मीडिया के साथ साझा किया जाना चाहिए था.

आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने कहा कि सीबीआई निदेशक को अपने पद पर कम से कम तय सीमा तक रहने देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिस चयन समिति ने उनकी नियुक्ति की है, उसी के द्वारा ही आलोक वर्मा के ट्रांसफर को तय किया जाए.

सुनवाई के दौरान फली एस नरीमन ने कहा कि 2014 से ही सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमिटी बनी है. उन्होंने कहा कि इस कमिटी की सहमति के बगैर सीबीआई चीफ का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.

फली एस नरीमन ने कोर्ट में कहा कि छुट्टी पर भेजने का फैसला भी कमिटी के सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा कि यूपीएससी चीफ को हटाने के लिए एक व्यवस्था है लेकिन सीबीआई डायरेक्टर के लिए यह नहीं है. कोर्ट की नजर भी इस मामले पर नहीं गई है.

ये सब सुनने के बाद जस्टिस केएम जोसेफ ने नरीमन से पूछा कि मान लीजिए, सीबीआई चीफ रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए तो क्या होगा, उनपर कैसे कार्रवाई होगी? आपने कहा कि कमिटी से पहले सहमति लेनी होगी लेकिन क्या इस स्थिति में वह व्यक्ति अपने पद पर एक मिनट के लिए भी बना रह सकता है?

प्रशांत भूषण के एनजीओ कॉमन कॉज के लिए अपना पक्ष रख रहे दुष्यंत दवे जैसे ही राकेश अस्थाना के खिलाफ कुछ बोलने गए, सीजेआई रंजन गोगोई ने उन्हें रोक दिया.

इसके बाद मामले की सुनवाई कर रही बेंच लंच ब्रेक पर चली गई. 2 बजे से फिर से सुनवाई शुरू हुई.

मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से जिरह करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि नियुक्ति की शक्ति के साथ बर्खास्तगती और निलंबन की शक्ति भी समिति को होगी. उन्होंने पूछा कि जो भी आलोक वर्मा के साथ हुआ, वो सेलेक्शन कमिटी के पास जाना चाहिए था. कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कल को कैग और सीवीसी के साथ भी हो सकता है, क्योंकि ऐसा ही प्रोविजन उनके साथ भी है.

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा 'प्राथमिकता सीबीआई में लोगों के विश्वास को जिंदा रखना है. इसके दोनों वरिष्ठ अधिकारी आपस में लड़ रहे हैं. लोगों में सीबीआई की छवि नकारात्मक हुई है और इसलिए सरकार ने बड़े सार्वजनिक हित में हस्तक्षेप करने का फैसला किया ताकि सीबीआई में लोगों का विश्वास न खो सके.'

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