Update- बुधवार तक के लिए केस की सुनवाई स्थगित हो गई है. अलोक वर्मा की अपील पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था.
Update- अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा 'प्राथमिकता सीबीआई में लोगों के विश्वास को जिंदा रखना है. इसके दोनों वरिष्ठ अधिकारी आपस में लड़ रहे हैं. लोगों में सीबीआई की छवि नकारात्मक हुई है और इसलिए सरकार ने बड़े सार्वजनिक हित में हस्तक्षेप करने का फैसला किया ताकि सीबीआई में लोगों का विश्वास न खो सके.'
Update- ट्रांसफर पर भेजे गए सीबीआई अधिकारी एके बस्सी और अश्विनि गुप्ता की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि कोई भी कानून सीबीआई चीफ के दो साल के कार्यकाल को खत्म नहीं कर सकता.
Update- डीआईजी एमके सिन्हा ने फिलहाल अपने आवेदन को रोक लिया है. वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सिन्हा फिलहाल इंतजार करेंगे और आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई के नतीजे देखने के बाद ही कोई फैसला लेंगे. एमके सिन्हा ने 19 नवंबर को दिए गए अपने याचिका में केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीवीसी के एक अधिकारी पर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था.
Update- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के एक दूसरे पर लगाए गए आरोपों के चक्कर में नहीं पड़ेगा. उन्होंने सीवीसी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर भी असहमति जताई. सीजेआई गोगोई ने कहा कि आप कानून के साथ रहिए.
Update- मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से जिरह करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि नियुक्ति की शक्ति के साथ बर्खास्तगती और निलंबन की शक्ति भी समिति को होगी. उन्होंने पूछा कि जो भी आलोक वर्मा के साथ हुआ, वो सेलेक्शन कमिटी के पास जाना चाहिए था. कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कल को कैग और सीवीसी के साथ भी हो सकता है, क्योंकि ऐसा ही प्रोविजन उनके साथ भी है.
Update- लंच के बाद से फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. दुष्यंत दवे ने फली एस नरीमन के उस बात का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आलोक वर्मा को चयन समिति के सहमति के बगैर नहीं नहीं हटाया जा सकता.
Update- खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार संस्थानों को बर्बाद करना चाहती है. कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि वर्मा के खिलाफ एक्शन चुनाव समिति द्वारा लिया जाना चाहिए.
Update- प्रशांत भूषण के एनजीओ कॉमन कॉज के लिए अपना पक्ष रख रहे दुष्यंत दवे जैसे ही राकेश अस्थाना के खिलाफ कुछ बोलने गए, सीजेआई रंजन गोगोई ने उन्हें रोक दिया. मामले की सुनवाई कर रही बेंच लंच ब्रेक पर चली गई है. 2 बजे से फिर से सुनवाई को आगे बढ़ाया जाएगा.
Update- सुप्रीम कोर्ट ने वकील दुष्यंत दवे को सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ जिरह करने से मना कर दिया है.
Update- अब वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे एनजीओ कॉमन कॉज के लिए अपना पक्ष रख रहे हैं.
Update- नरीमन ने पूछा कि कैसे सरकार ने आलोक वर्मा से उनकी शक्ति वापस ले ली. उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा होता है तो फिर सीबीआई की स्वतंत्रता और स्वायतता का क्या होगा? इसी के साथ ही आलोक वर्मा के वकील नरीमन का जिरह खत्म हो गया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वो सबसे पहले यह देखेगा कि क्या आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उस शक्तिशाली कमिटी से मंजूरी लेनी जरूरी थी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह सीवीसी और सरकार के पक्ष को भी सुनेगा.
Update- फली एस नरीमन ने कोर्ट में कहा कि छुट्टी पर भेजने का फैसला भी कमिटी के सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा कि यूपीएससी चीफ को हटाने के लिए एक व्यवस्था है लेकिन सीबीआई डायरेक्टर के लिए यह नहीं है. कोर्ट की नजर भी इस मामले पर नहीं गई है.
ये सब सुनने के बाद जस्टिस केएम जोसेफ ने नरीमन से पूछा कि मान लीजिए, सीबीआई चीफ रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए तो क्या होगा, उनपर कैसे कार्रवाई होगी? आपने कहा कि कमिटी से पहले सहमति लेनी होगी लेकिन क्या इस स्थिति में वह व्यक्ति अपने पद पर एक मिनट के लिए भी बना रह सकता है?
Update- सुनवाई के दौरान फली एस नरीमन ने कहा कि 2014 से ही सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमिटी बनी है. उन्होंने कहा कि इस कमिटी की सहमति के बगैर सीबीआई चीफ का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
Update- सीवीसी रिपोर्ट पर आलोक वर्मा के जवाब मीडिया में लीक होने के मामले पर पिछली सुनवाई 2 मिनट में ही टाल दी गई थी. फली एस नरीमन ने आज सुनवाई के दौरान सहारा केस में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि उस समय कोर्ट ने कहा था कि मीडिया को कोर्ट में जमा किए गए कागजात पर रिपोर्ट झापने से नहीं रोका जा सकता.
Senior lawyer Fali S Nariman, appearing for CBI dircetor Alok Verma, submitted to Supreme Court that CBI Director should have a minimum period irrespective of his superannuation. He also said that Director's transfer should be cleared by Selection Committee which selected him
— ANI (@ANI) November 29, 2018
Update- आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने कहा कि सीबीआई निदेशक को अपने पद पर कम से कम तय सीमा तक रहने देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिस चयन समिति ने उनकी नियुक्ति की है, उसी के द्वारा ही आलोक वर्मा के ट्रांसफर को तय किया जाए.
Update- आलोक वर्मा ने सीबीआई डीआईजी एमके सिन्हा के आवेदन से खुद को दूर कर लिया है. इस आवेदन में कई लोगों पर आरोप लगाए गए हैं. वर्मा के वकील नरीमन ने कहा कि यह सवाल उठता है कि यदि सिन्हा का आवेदन कोर्ट के देखने से पहले ही मीडिया के साथ साझा किया जाना चाहिए था.
Update- आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने इशारा किया कि हमने सीवीसी जांच रिपोर्ट पर अपना जवाब पहले ही सौंप दिया है.
Update- सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले के खिलाफ आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट आज यानी गुरुवार, 29 नवंबर को CBI के निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा. भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी वर्मा ने भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर उन्हें सीबीआई निदेशक के अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने के सरकार के निर्णय को चुनौती दी है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ वर्मा के सील बंद लिफाफे में दिए गए जवाब पर विचार कर सकती है. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने वर्मा के खिलाफ प्रारंभिक जांच करके अपनी रिपोर्ट दी थी और वर्मा ने इसी पर जवाब दिया गया है.
पहले 20 नवंबर थी तारीख
पीठ को आलोक वर्मा के सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे गए जवाब पर 20 नवंबर को विचार करना था. किंतु उनके खिलाफ CVC रिपोर्ट कथित रूप से मीडिया में लीक होने और जांच एजेंसी के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मनीष कुमार सिन्हा की तरफ से लगाए गए आरोपों की कॉपी मीडिया में प्रकाशित होने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी.
पीठ CBI के कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव की रिपोर्ट पर भी विचार कर सकती है. नागेश्वर राव ने 23 से 26 अक्टूबर के दौरान जो फैसले लिए हैं, उसे सीलबंद लिफाफे में वो कोर्ट को सौंपा है. इसके अलावा, CBI अधिकारियों के खिलाफ निगरानी में स्वतंत्र जांच की अनुरोध वाली जनहित याचिकाओं पर भी सुनवाई हो सकती है. यह याचिका एक NGO कॉमन कॉज ने दाखिल की है.
अस्थाना के खिलाफ दर्ज मामलों की फाइल देख सकते हैं वर्मा
इसी बीच बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और जॉइंट डायरेक्टर एक शर्मा को इजाजत दे दी है कि वो सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज एफआईआर की फाइल देख सकते हैं. जस्टिस नाजमी वजिरी ने कहा कि आलोक वर्मा सीवीसी कार्यालय में गुरुवार को फाइलों को देखने के लिए जा सकते हैं.
क्या कहा था कोर्ट ने?
कोर्ट ने 20 नवंबर को साफ किया था कि वह किसी भी पक्षकार को नहीं सुनेगी और यह उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेगी. CVC की रिपोर्ट पर आलोक वर्मा का गोपनीय जवाब कथित रूप से लीक होने पर नाराज कोर्ट ने कहा था कि वह जांच एजेंसी की गरिमा बनाए रखने के लिए एजेंसी के निदेशक के जवाब को गोपनीय रखना चाहता था.
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