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CBI Vs CBI: जानिए उन वकीलों के बारे में, जिन्होंने SC में हाईप्रोफाइल केस की पैरवी की

सुप्रीम कोर्ट में कई जाने माने वकीलों ने इस मामले की पैरवी की

Updated On: Oct 26, 2018 11:43 AM IST

FP Staff

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CBI Vs CBI: जानिए उन वकीलों के बारे में, जिन्होंने SC में हाईप्रोफाइल केस की पैरवी की

सीबीआई में चल रहे घमासान पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका और एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके पॉल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने की. सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच सीवीसी आज से दो सप्ताह के भीतर पूरी करे. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक मामले की जांच करेंगे.

मामले की पैरवी कई जाने माने वकीलों ने की. आलोक वर्मा की तरफ से सीनियर वकील फली एस नरीमन और संजय हेगड़े ने मामले की पैरवी की. फली एस नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में कई बड़े मामलों की पैरवी की है. खासकर अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर काम किया है. नरीमन पूर्व सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं.

दीपक मिश्रा के चीफ जस्टिस रहते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया इंस्टीट्यूशन को डिफेंड करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए उन्हें चार जजों की बेंच के पास जाना चाहिए. उनका इशारा उन्हीं चार जजों की ओर था, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक दिक्कतों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.

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फली एस नरीमन

वहीं संजय हेगड़े भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. उन्होंने निर्भया रेप केस के आरोपियों को फांसी की सजा सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे.

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वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े

दूसरी तरफ सीनियर वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के मामले की पैरवी की. मुकुल रोहतगी ने कॉमन कॉज के द्वारा फाइल पीआईएल के खिलाफ भी बहस की.

कॉमन कॉज के जरिए सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करवाए जाने की मांग की है.

रोहतगी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. उन्होंने साल 2002 में हुए गुजरात दंगे और फेक एनकाउंटर केस में तत्कालीन सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा था. इस केस में गुजरात सरकार को क्लीन चिट मिल गई थी.

साल 2014 में जब मोदी की सरकार आई तो उसके साथ ही वरिष्ठ वकील रोहतगी को देश का नया अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया. वह 19 जून, 2014 से 18 जून,2017 तक इस पद पर बने रहे. बाद में उनकी जगह के.के वेणुगोपाल ने ली.

वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता चीफ विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) की तरफ से पक्ष रखा.

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