कावेरी जल विवाद सुलझाने के लिए तमिलनाडु विधानसभा ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड और कावेरी वाटर मॉनिटरिंग कमेटी बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया. इस प्रस्ताव का मकसद केंद्र सरकार पर जल विवाद सुलझाने के लिए दबाव बनाना है.
Resolution urging Centre to constitute #CauveryManagementBoard and #CauveryWaterMonitoringCommittee passed unanimously in #TamilNadu Assembly. pic.twitter.com/2CRWzRIYlv
— ANI (@ANI) March 15, 2018
दक्षिण के कई राज्यों के बीच दशकों से चल रहे कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फीट पानी दिया जाए. जबकि तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी फीट पानी देने का आदेश दिया गया. इस तरह तमिलनाडु का 15 टीएमसी फीट पानी घटा दिया गया.
Time has come for all party leaders to unite to get #Cauvery water. Centre is trying to utilise Supreme Court's order as per its need: DMK Working President MK Stalin at #Cauvery Special Assembly. #TamilNadu
— ANI (@ANI) March 15, 2018
इस मुद्दे पर तमिलनाडु विधानसभा की बुलाई गई विशेष बैठक के बाद डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा, वक्त आ गया है कि कावेरी जल मुद्दे को लेकर सभी नेता एकजुट हों. केंद्र सरकार अपनी सुविधाओं के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भुनाना चाहती है.
फैसले में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
इससे पहले, कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 2007 में किए गए आवंटन के अनुसार कर्नाटक को 270 टीएमसीए फीट जल आवंटित किया था. वो अब बढ़कर 284.75 टीएमसीए फीट हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ ने यह आदेश सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल को 30 और पुडुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी देने का आदेश दिया है. केरल और पुडुचेरी को मिलने वाले पानी में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
क्या है मामला?
कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने साल 2007 में किए गए आवंटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. पीठ ने इस याचिका पर अपना फैसला पिछले साल 20 सितंबर को सुरक्षित रखा था.
शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु को कावेरी बेसिन के नीचे कुल 20 टीएमसीए फीट जल में से अतिरिक्त 10 टीएमसीए फीट भूजल निकालने की इजाजत भी दी. कोर्ट ने कहा कि बेंगलूरू के लोगों की 4.75 टीएमसीए फीट पेयजल और 10 टीएमसीए फीट भूजल जरूरतों के आधार पर कर्नाटक के लिए कावेरी जल का 14.75 टीएमसीए फीट आवंटन बढ़ाया गया.
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