सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी के तट पर स्थित दक्षिण भारत के चार राज्यों के बीच सुगम तरीके से जल बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए कावेरी प्रबंधन योजना संबंधी केंद्र सरकार के मसौदे को शुक्रवार को मंजूरी दे दी.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और धनन्जय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने इस योजना के बारे में कर्नाटक और केरल सरकार के सुझावों को ठोस वजह के अभाव में अस्वीकार कर दिया.
बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत के 16 फरवरी के फैसले में संशोधित कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अवॉर्ड को कावेरी प्रबंधन योजना को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाना होगा.
बेंच ने कावेरी प्रबंधन योजना तैयार करने में विफल रहने के कारण केंद्र के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए तमिलनाडु सरकार की अर्जी भी खारिज कर दी.
बीजेपी और कांग्रेस- जेडी(एस) के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष से जूझ रहे कर्नाटक ने इससे पहले कावेरी प्रबंधन योजना के मसौदे को अंतिम रूप देने के प्रयास में बाधा डालने का असफल प्रयास किया. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि वह यह देखेगा कि यह योजना सिर्फ कोर्ट के फैसले के संदर्भ में ही हो.
इससे पहले, कोर्ट ने इस योजना में समय-समय पर निर्देश देने का अधिकार केंद्र को देने संबंधी प्रावधान पर आपत्ति की थी. इसके बाद यह प्रावधान केंद्र ने हटा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी के फैसले में केंद्र से कहा था कि वह छह सप्ताह के भीतर कावेरी प्रबंधन योजना बनाए, जिसमें कावेरी प्रबंधन बोर्ड भी शामिल होगा, जिसके मुताबिक चारों राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी- को कावेरी जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी.
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