Rafale Deal पर आखिरकार CAG की रिपोर्ट सामने आ गई. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि UPA सरकार के मुकाबले नरेंद्र मोदी सरकार ने राफेल का सौदा कम पैसों में किया है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि Rafale की जो डील 2016 में हुई थी वह 2007 में हुई डील के मुकाबले 2.8 फीसदी सस्ती थी. सरकार इस मामले में 9 फीसदी सस्ती डील करने का जो दावा कर रही है वह गलत है.
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, 126 राफेल खरीदने के बजाय सरकार ने 36 राफेल का सौदा करके इंडिया स्पेसिफिक एनहांसमेंट्स के लिए 17.08 फीसदी बचत कर ली है.
CAG का कहना है कि NDA की डील न सिर्फ सस्ती है बल्कि उसमें फास्ट डिलीवरी की भी शर्त है. 2007 में जो डील हुई थी उसके मुताबिक, पहले 18 एयरक्राफ्ट 37 महीने से 50वें महीने के बीच डिलीवर होती. इसके बाद 18 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी 49वें महीने से लेकर 72 महीने तक होती. इन 18 एयरक्राफ्ट की जिम्मेदारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की थी. NDA की डील के मुताबिक पहले 18 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी 24 महीनों में होगी और बाकी के 18 राफेल एयरक्राफ्ट की डिलीवरी 36 महीनों में होगी.
CAG की रिपोर्ट 140 पेज की है. इसमें से 30 पेज पर सिर्फ राफेल डील पर फोकस किया गया है. इस रिपोर्ट में कुल 11 डील का जिक्र किया गया है. इसमें पांच UPA और 6 NDA के कार्यकाल के दौरान हुआ है. ये सभी डील 2012 से लेकर 2017 के बीच साइन हुए हैं.
ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि IAF (इंडियन एयरफोर्स) ने ASQRs (एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रीक्वायरमेंट्स) को ठीक से परिभाषित नहीं किया है. इसी का नतीजा है कि कोई भी वेंडर ASQRs की शर्तों को पूरा नहीं कर पाया. खरीद प्रक्रिया के दौरान ASQRs में बार-बार बदलाव करना पड़ा.
CAG Report: Audit noted that the IAF did not define the ASQRs (Air Staff Qualitative Requirements) properly. As a result, none of the vendors could fully meet the ASQRs. ASQRs were changed repeatedly during the procurement process. #RafaleDeal
— ANI (@ANI) February 13, 2019
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2015 में डिफेंस मिनिस्ट्री की एक टीम ने 126 राफेल डील रद्द करने की सिफारिश की थी. डिफेंस मिनिस्ट्री की दलील थी कि दसॉ एविएशन और EADS (European Aeronautic Defence & Space Company) ने सबसे सस्ती बोली नहीं लगाई थी और ना ही टेंडर की सभी शर्तों को पूरा कर पाई थी.
CAG report on #RafaleDeal : A Defence Ministry team in March 2015 recommended the scrapping of the 126 Rafale deal saying that Dassault Aviation was not the lowest bidder and EADS (European Aeronautic Defence & Space Company) was not fully compliant with the tender requirements. pic.twitter.com/tjRujrf275
— ANI (@ANI) February 13, 2019
अरुण जेटली ने ट्वीट किया सत्यमेव जयते!
अरुण जेटली ने एक ट्वीट करके 'सत्यमेव जयते' लिखा है. कैग रिपोर्ट ने एकबार फिर इसे सही साबित कर दिया है. 2016 बनाम 2007 - सस्ता दाम, तेज डिलीवरी, बेहतर मेंटेनेंस. ऐसा नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट गलत हो. CAG गलत हो और सिर्फ राजवंश सही हो.
कांग्रेस ने रिपोर्ट खारिज की
हालांकि कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है क्योंकि CAG ऑडिटर राजीव महर्षि 2016 में राफेल डील के दौरान फाइनेंस सेक्रेटरी थे. ऐसे में कांग्रेस का सवाल है कि क्या कैग ऑडिटर राजीव महर्षि अपने खिलाफ जांच कर सकते हैं.
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