केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से जुड़े मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को कुछ संशोधन के साथ मंजूरी दे दी. विधेयक में तीन तलाक को गैर जमानती अपराध तो माना गया है लेकिन अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.
Cabinet approves amendment in Triple Talaq Bill. Although the offence continues to remain non-bailable but magistrate can give bail. pic.twitter.com/3S5LTmt7i2
— ANI (@ANI) August 9, 2018
केंद्रीय कैबिनेट की ओर से पारित विधेयक में एक और संशोधन यह किया गया है कि पीड़ित के रिश्तेदार जिससे उसका खून का रिश्ता हो, वह भी इस मामले में शिकायत दर्ज कर सकता है.
पिछले संसद सत्र में राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस देखने को मिली थी. विपक्ष ने इस विधेयक में कई खामियां गिनाते हुए प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी. कांग्रेस ने लोकसभा में बिल में पीड़ित महिला को पति के जेल जाने के बाद गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग की थी लेकिन यह संशोधन निचले सदन में गिर गया.
एक तरफ कांग्रेस इस मामले में सहयोग की बात कर रही है तो दूसरी तरफ सहयोग के बदले शर्त भी रख दी है कि तीन तलाक विरोधी विधेयक में महिलाओं के लिए गुजारा भत्ते का प्रावधान हो.
केंद्र सरकार की कोशिश है कि मॉनसून सत्र में तीन तलाक जैसे अहम बिलों को जल्द से जल्द पास करा लिया जाए. सरकार के सामने लोकसभा में 28 और राज्यसभा में 30 विधेयक पारित कराने की चुनौती थी लेकिन अविश्वास प्रस्ताव में भारी जीत के बाद सरकार धीरे-धीरे विधेयकों को पारित कराने में गति लाती दिख रही रही है. हालांकि सबसे अहम विधेयक इस मॉनसून सत्र में भी अटके हुए दिखाई देते हैं.
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