मेट्रो मैन के नाम से प्रसिद्ध ई श्रीधरन ने कहा कि बुलेट ट्रेन आम आदमी के पहुंच से काफी दूर है और यह सिर्फ इलीट (उच्च वर्ग) लोगों के लिए ही है. उन्होंने कहा कि विकसित देशों की तुलना में भारतीय रेलवे सिस्टम अभी 20 साल पीछे है. उन्होंने कहा कि भारत को आधुनिक, साफ, सुरक्षित और तेज रेलवे सिस्टम की जरूरत है.
हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में श्रीधरन ने कहा कि 'बुलेट ट्रेन केवल कुलीन समुदाय की आवश्यकता को ही पूरा करेगी. यह बहुत ही महंगा है और सामान्य लोगों की पहुंच से काफी दूर है. भारत को आधुनिक, साफ, सुरक्षित और तेज रेलवे सिस्टम चाहिए.'
भारतीय इंजीनियरिंग सर्विस के रिटायर ऑफिसर और कई मेट्रो प्रोजेक्ट्स के सलाहकार इस बात को भी नकार दिया कि बॉयो टॉयलेट, स्पीड और स्वच्छता की दिशा में भारतीय रेल ने प्रगति की है. उन्होंने कहा कि 'बॉयो टॉयलेट को छोड़कर किसी भी तरह की तकनीकी प्रगति नहीं हुई है. वास्तव में बहुत से प्रतिष्ठित ट्रेनों की औसत गति में कमी आई है. समय की पाबंदी में तो सबसे खराब है- आधिकारिक तौर पर यह 70 फीसदी है पर वास्तविकता में यह 50 फीसदी से भी कम है.'
रेलवे की दुर्घटनाओं और मौतों पर उन्होंने कहा कि दुर्घटना के आंकड़ों में कोई सुधार नहीं हुआ है. बहुत सारे लोग ट्रैक पर मर रहे हैं, खासकर कस्बाई इलाकों में क्रॉसिंग पर. करीब 20,000 जानें सालाना ट्रैकों पर जाती हैं. मुझे लगता है भारतीय रेल व्यवस्था विकसित देशों की तुलना में करीब 20 साल पीछे है.
हाल ही में देश भर में सभी मेट्रो रेल प्रणालियों के लिए स्वदेशी तकनीकी मानकों को निर्धारित करने के लिए श्रीधरन को एक नई गठित उच्चस्तरीय समिति का प्रमुख बनाया गया है. पीएम मोदी ने पिछले महीने ही उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई है.
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