गोहत्या को लेकर फैली अफवाह में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर में भड़की हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक स्थानीय युवक की जान चली गई. इस मामले में पुलिस ने 4 लोगों को (मंगलवार शाम तक) गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने मंगलवार रात तक 27 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इनमें शामिल 9 लोग विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), बजरंग दल और बीजेपी युवा मोर्चा जैसे दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं. एफआईआर में शामिल 18 लोग किसान और कॉलेज स्टूडेंट हैं जिनको पूर्व में समय-समय पर स्याना पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध-प्रदर्शन करते हुए देखा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज और अन्य 8 के बारे में तफसील से पड़ताल की.
योगेश राज, एलएलबी छात्र और बजरंग दल कार्यकर्ता
स्थानीय लोगों की भीड़ योगेश राज के घर के बाहर जुटने लगती है. केसरिया रंग में रंगे उसके घर के मुख्य द्वारा पर अखंड भारत का चित्र बना है. 25 वर्षीय योगेश राज की बहन सीमा ने कहा, योगेश जब 16 साल का था तब से वो बजरंग दल का कार्यकर्ता है. घटना वाले दिन (4 दिसंबर) को वो परीक्षा देने गया जहां उसे बजरंग दल के अन्य कार्यकर्ताओं का फोन आया. जिसके बाद वो उस जगह (खेत) गया जहां गोहत्या के बाद उनके अवशेष मिले थे. इसके बाद उस दिन वो रात को ही घर वापस लौटा. सीमा ने बताया कि उसने (योगेश राज) मुझसे कहा, चिंता की कोई बात नहीं और फिर बाहर चला गया. तब से वो नहीं लौटा है.
योगेश राज के पिता किसान हैं और उनके पास दो भैंसें हैं. उसके परिवार के पास दो बीघा जमीन है और दो मकान हैं. उसका परिवार लोध राजपूत समाज से आता है. राज की पहचान घरेलू विवादों का निपटारा करने वाले के रूप में होती है. इसके अलावा वो गोहत्या के भी काफी खिलाफ है. सीमा ने कहा कि उसका भाई वकील बनना चाहता है जिसके लिए उसने कड़ी मेहनत की.
बुलंदशहर हिंसा की घटना के लिए पुलिस और प्रशासन उसे मुख्य आरोपी मान रहे हैं. उसकी तलाश में 6 सदस्यों की एक टीम जुटी है.
देवेंदर और उसका बेटा चमन
पिता-पुत्र की जोड़ी देवेंदर और चमन को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया था. 55 वर्षीय देवेंदर किसान है. उनके परिवार का दावा है कि उन्होंने कभी भी अपनी राजनीतिक पहुंच होने की बात नहीं कही. जबकि बारहवीं पास चमन यूपी पुलिस की भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है.
21 वर्षीय चमन की मां भूरी ने कहा, जनवरी में मेरे बेटे की परीक्षा है. जब हिंसा हुई तो वो ट्यूशन पढ़ने गया था. जब वो घर में सो रहा था तब पुलिस ने आकर उसे गिरफ्तार किया. यदि मुझे पता होता कि उसका नाम एफआईआर में है तो मैं उसे यहां से भाग जाने को कहती.
देवेंदर के परिवार के पास तीन बीघा जमीन है. परिवार ने दावा किया कि चमन की योगेश राज से जान-पहचान थी मगर वो कभी भी गोरक्षा को लेकर उत्पात में शामिल नहीं था. भूरी ने कहा मेरे पति गोहत्या को लेकर नाराजगी जताते थे लेकिन उन्होंने कभी भी सार्वजनिक तौर पर इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन नहीं किया.
राज कुमार, पूर्व प्रधान
महज दो साल पहले चिंगरौटी गांव के पूर्व प्रधान राज कुमार के घर के बाहर लोग उससे सलाह और राय-मशवरा लेने जुटने थे. मगर अब वो ऐसा नहीं करते. बुलंदशहर हिंसा में नाम सामने आने के बाद लोग पिछले दो दिन से उसके घर के पास भी फटकने से कतराने लगे हैं.
पुलिस के मुताबिक राज कुमार ने ही सबसे पहले यह दावा किया था कि उसके खेत में गोहत्या हुई है. 13 वर्ष और 8 वर्ष के दो बच्चों के पिता राज कुमार के पास 10 बीघा जमीन है. वो मुख्य रूप से डेयरी किसान है जो उसकी आय का अहम जरिया है. उसके पास 4 भैंसें और 2 गाय हैं. वो बारहवीं तक पढ़ा-लिखा है.
राज कुमार की पत्नी ने कहा, मेरे पति का कभी किसी राजनीतिक दल से नाता नहीं रहा है. यह उनकी बदकिस्मती थी कि हमारे खेत में गोहत्या के अवशेष मिले.
जितेंदर मलिक, सेना में कर्मचारी
24 साल के जितेंदर मलिक की मां रतन कौर जमीन को देखते हुए सामने कांच टूटी हुई एक मारुति कार की ओर इशारा करती हैं. कार के सामने वाले शीशे पर एके-47 का स्टीकर लगा है. इसके अलावा उसपर 'जाट', 'आर्मी' और 'मलिक' लिखे स्टीकर भी लगे हैं.
उसकी मां ने कहा, हाल में ही में वो सेना में शामिल हुआ था और उसकी पोस्टिंग श्रीनगर में थी. कौर ने कहा, 'सेना में भर्ती होने के बाद मेरा बेटा कार में घूमता-फिरता था. पुलिस जब उसे खोजते हुए यहां आई तो उन्होंने उसकी कार तोड़ दी.'
जितेंदर की मां और उसके पड़ोसियों ने बताया कि वो शाकाहारी है जिसके सामने यदि कोई मीट खाने की बात कहता था तो वो भड़क उठता था. उसकी मां ने बताया कि सेना में भर्ती होने से पहले जितेंदर गाय तस्करी करने वालों की गाड़ियों को रोकता था और उन्हें कड़ी चेतावनी देता था.
मुकेश, ड्राइवर
30 साल का मुकेश दो दिन पहले गाजियाबाद से यहां (बुलंदशहर) लौटा था. उसकी मां चंदावती ने बताया, सोमवार सुबह जब उसने खेत में गोहत्या के अवशेष मिलने की बात सुनी तो हड़बड़ी में बाहर निकल गया. मैं उसे रोक नहीं सकी. वो गाय तस्करों को पकड़ने वाले दल में शामिल था. मेरा बेटा गांव के रास्ते गोतस्करी कर ले जाई जाने वाली कई गाड़ियों को रोकने में शामिल रहा था. ऐसा पहली बार हुआ जब यहां (गांव) कोई गोहत्या हुई है.'
गांव के ही एक पुजारी का बेटा मुकेश आजीविका के लिए गाजियाबाद में रहकर ड्राइवर का काम करता था. मुकेश की शादी हो चुकी है. करीब महीने भर पहले उसकी पत्नी अपने मायके गई है.
उसके पिता ब्रह्म सिंह ने कहा, 'परिवार के पास कुछ समय पहले तक 6 गायें हुआ करती थी मगर बीमारी की वजह से उनमें से अब 5 की मौत हो चुकी है. मुकेश की मां अभी भी खेतों में काम करती हैं. हम अपनी आजीविका के लिए गाय पर निर्भर हैं. हमारे गांव में यदि किसी परिवार की एक गाय भी मर जाती है तो उसे इसका गहरा झटका लगता है.' उन्होंने कहा कि मैं समझ सकता हूं उसे (मुकेश) गोहत्या के अवशेष मिलने पर कितना गुस्सा आया होगा.
सचिन, किसान और बीजेपी कार्यकर्ता
सचिन की मां सरोज देवी अपने घर के अंदर किसी को भी नहीं घुसने देतीं. महाओ गांव स्थित उनके घर के मुख्य द्वारा पर गोशाला बनी है. उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा बीजेपी का स्थानीय कार्यकर्ता था. वो खुले मन से राम मंदिर के पक्ष में और भारत को भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने की बात कहता था.'
35 वर्षीय सचिन ने बारहवीं तक पढ़ाई की है. उसके परिवार के पास 5 बीघा जमीन है और 6 भैसें हैं. उसके परिवार ने बताया कि वो काफी गुस्सैल वक्ता है जो गोहत्या की बात सुनकर भड़क उठता है. सचिन किसान है और अपने पिता के साथ मिलकर इलाके में दूध बेचने का कारोबार करता है.
विनीत, बेरोजगार
बुधवार को विनीत का घर एकदम सुनसान दिख रहा था. घर के अंदर केवल उसकी गायें बंधी थी. उसकी रिश्तेदार राजबीरी ने बताया कि विनीत ने बारहवीं तक की पढ़ाई की है.
उन्होंने कहा कि 30 वर्षीय विनीत का 8 साल का एक बेटा है. उसकी गायें बीमारी की वजह से हाल ही में मर गईं. वो पशुओं के लिए यहां लगने वाले स्वास्थ्य कैंप में भी शामिल होने वाला था लेकिन इस घटना के बाद अब वो कैंसिल हो गई है.
उन्होंने बताया कि बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस की छापेमारी से बचने के लिए विनीत के माता-पिता गांव छोड़कर चले गए हैं.
टिंकू, बेरोजगार
18 साल के टिंकू की दादी शांति देवी घर में पड़ी चारपाई पर लेटी हैं. वो उठ पाने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि टिंकू ने हाल ही में दिल्ली में एक कोर्स किया था लेकिन वो उसे पूरा नहीं कर पाया. वो अपने पिता के साथ खेतों में काम करता था.
टिंकू की चाची ने उसका बचाव करते हुए कहा, परिवार इस कोशिश में जुटा था कि उसे कोई प्राइवेट नौकरी मिल जाए. इसलिए उसके पास गोरक्षा से जुड़े उत्पात में शामिल होने के लिए समय नहीं था.
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