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बुलंदशहर हिंसा: गांववालों को पुलिस कार्रवाई का डर, घर छोड़कर खेतों में रह रहे लोग

दहशतजदा चिंगरावटी गांव में खामोशी छाई हुई है. यहां लोगों को लगातार पुलिस कार्रवाई का डर सता रहा है

Updated On: Dec 04, 2018 07:48 PM IST

Bhasha

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बुलंदशहर हिंसा: गांववालों को पुलिस कार्रवाई का डर, घर छोड़कर खेतों में रह रहे लोग

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा में एक पुलिस चौकी को आग लगाने और पुलिस निरीक्षक सुबोध सिंह की गोली मारकर हत्या करने के एक दिन बाद दहशतजदा चिंगरावटी गांव में खामोशी छाई हुई है. यहां लोगों को लगातार पुलिस कार्रवाई का डर सता रहा है. इस डर में लोग घरों को छोड़कर खेतों में ही रह रहे हैं. वहीं, कुछ लोग गांव छोड़कर भाग गए हैं.

स्थानीय निवासी अनिल कुमार ने कहा, ‘घटना के बाद गांव में लोग बहुत डरे हुए हैं. उनमें से कुछ तो अपने घर छोड़कर भाग गए हैं.’

46 साल के अनिल कुमार ने कहा, ‘बच्चों और महिलाओं समेत कुछ लोग आसपास के इलाकों में स्थित अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं जबकि कुछ गांव से दूर खेतों में रह रहे हैं. यह पुलिस के डर की वजह से है.’

सोमवार को कथित गोकशी का विरोध कर रही भीड़ के हिंसक होने के बाद पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह और 20 साल के युवक सुमित की गोली लगने की वजह से मौत हो गई.

अनिल कुमार ने दावा किया कि 30-32 गायों का वध किया गया और उनके सिर चिंगरावटी गांव के दूसरे तरफ महाव गांव के पास बिखरे हुए थे.

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद, दोनों गांव के लोग चिंगरावटी पुलिस चौकी पर जमा हुए और जिलाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी से जांच और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने मुख्य सड़क को अवरूद्ध कर दिया.’

उन्होंने कहा, ‘जब हिंसा भड़की तो पत्थर फेंके गए और निरीक्षक ने गोली चला दी, जिसमें मेरे इलाके के सुमित को गोली लगी और उसकी मौत हो गई.’

पुलिस ने कहा कि भीड़ की हिंसा में सुबोध सिंह जख्मी हो गए थे और जब उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था तब उनपर फिर से हमला किया गया. उन्होंने बताया कि उनके सिर में गोली मारी गई.

सुमित की मां और उसकी तीन बहनें गांव में अपने घर पर थीं. पड़ोसियों ने बताया कि उसकी मौत की जानकारी अभी तक उन्हें नहीं दी गई. पड़ोसियों ने बताया कि सुमित के पिता अमरजीत सिंह (55), भाई विनीत (22) और बहन बबली मेरठ से शव लेकर आए जहां उसे इलाज के लिए जे जाया गया था.

समित के रिश्ते के भाई अनुज कुमार ने कहा, ‘सुमित छह भाई-बहनों में सबसे छोटा था. वह गाजियाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था.

चिंरागवटी गांव के प्रधान अजय कुमार ने कहा कि ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘गांव में तीन मुस्लिम परिवार हैं लेकिन अब तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.’

नेशनल जाट महासभा के राज्य अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने निरीक्षक और हिंसा में मारे गए ग्रामीण के लिए मुआवजे और उनके रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की.

उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बेगुनाह लोगों परेशानी नहीं हो.

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