मोदी सरकार ने इस साल के बजट में किसानों और गरीबों को बड़ी सौगात दी है. सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली के पिटारे से किसानों को काफी राहत दी गई है. देश भर के किसानों को लुभाने के लिए उनकी आमदनी बढाने के साथ-साथ उनको और सहुलियत देने की कोशिश की गई है.
बजट पेश करते वक्त जेटली ने किसानों और कृषि से जुड़े मसले का ही सबसे पहले जिक्र किया. वित्त मंत्री ने अपने बजटीय भाषण में घोषणा की है कि अब किसानों को उनकी उत्पादन लागत के डेढ़ गुना दाम पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (एमएसपी) तय किया जाएगा.
किसानों को लुभाने में लगी सरकार
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार का यह अबतक का सबसे बड़ा प्लान माना जा रहा है. सरकार की तरफ से तय की जा रही एमएसपी को लेकर लगातार कई सालों से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन, अब इस घोषणा के बाद किसानों को फसल का वाजिब दाम मिल सकेगा.
उन्होंने सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि इस साल कृषि उत्पादन रिकॉर्ड 275 मिलियन टन तक पहुंच गया है. इसके अलावा सब्जियों और फलों का भी रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. सरकार किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रही है और किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है.
वित्त मंत्री ने कहा कि देश के 22 हजार हाटों को कृषि बाजार में बदला जाएगा. इसके अलावा देश में ऑर्गेनिक खेती को बढावा देने को लेकर भी सरकार ने बजट में प्रावधान किया है.
इस बार के बजट में आलू-टमाटर जैसी सब्जियों के रख-रखाव और उनके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए का फंड दिया गया है. इसे ऑपरेशन ग्रीन नाम दिया गया है.
नॉर्थ ईस्ट के अलावा भारत के कई दूसरे राज्यों में भी बांस का उत्पादन होता है. सरकार की तरफ से बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 1290 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा रहा है. इससे भी किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ही फायदा होगा.
अब पशुपालन और मछली पालन करने वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा. इस बात का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने कृषि और कृषि से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की बेहतरी पर बल दिया है.
जेटली ने अपने बजट भाषण में किसानों के हित में उठाए गए कदम का जिक्र करते हुए कहा कि इस साल कृषि निर्यात 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.
एक बार फिर से कृषि सिंचाई योजना के प्रोग्राम को लेकर सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई है और इस योजना पर और तीव्रगति से आगे बढ़ने का दावा किया है. साथ ही किसानों को लोन देने के लिए 11 लाख करोड़ का फंड बनाने की घोषणा की है.
किसानों के बाद गरीबों पर रहा फोकस
इस बार के बजट में सरकार ने गरीबों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया है. गरीबों को अपने साथ जोड़ने के मकसद से शुरू की गई उज्ज्वला योजना को लेकर वित्त मंत्री ने अपनी सरकार की पीठ थपथपाई.
आने वाले वित्तीय वर्ष में उज्ज्वला योजना का फायदा उठाने वाली महिलाओं की तादाद 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है. दरअसल, गरीब परिवार में मुफ्त गैस कनेक्शन देने की यह योजना काफी लोकप्रिय हो रही है. सरकार को लगता है कि इस योजना का दायरा बढाकर वह गरीब परिवार में अपनी पैठ और बढा सकती है.
गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मास्टर स्ट्रोक !
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की समस्या सबसे बडी समस्या है. आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य पर बढ़ रहे खर्चे की मार गरीबों पर ही सबसे ज्यादा पड़ती है. इस बार बजट में स्वास्थ्य को लेकर सरकार ने बड़ी घोषणा करते हुए देश के गरीबों को 5 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य बीमा योजना देने की घोषणा की.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस योजना से दस करोड़ परिवारों को फायदा होगा. मतलब देश की 50 करोड़ आबादी इस स्वास्थ्य योजना का लाभ उठा सकेगी.
सरकार ने इस बार बजट में हेल्थ वेलनैस सेंटर के लिए 1200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. जबकि लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 1.5 लाख आरोग्य सेंटर खोले जाएंगे.
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराने के लिए बजट में बड़ा ऐलान किया गया है. अब हर तीन संसदीय क्षेत्र में एक जगह मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे.
गांव में भी होगा विकास
सरकार ने ग्रामीण भारत के लोगों के लिए हवाई सफर आसान बनाने के मकसद से उड़ान सेवा की शुरुआत की है. वित्त मंत्री ने भी दावा किया कि अब हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई सफर कर रहे हैं. उनका बयान यह दिखाने के लिए काफी है कि सरकार ग्रामीण भारत के निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी किस तरह हवाई यात्रा मुहैया कर रही है.
मोदी सरकार की तरफ से देश के हर गांव को इंटरनेट से जोड़ने की योजना पर काम हो रहा है. वित्त मंत्री ने भी इसका जिक्र करते हुए साफ किया कि इस साल एक लाख पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा.
दरअसल इस साल के बजट में सरकार की तरफ से किसानों , मजदूरों, गरीबों के अलावा निम्न मध्यम तबके के लोगों को साधने की कोशिश की गई है. सरकार की कोशिश ग्रामीण भारत में विकास की योजनाओं को धार देकर अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पैठ मजबूत बनाने की है, जिसकी झलक बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री के बयान से भी साफ हो गई.
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