इस बार के बजट से देश को काफी उम्मीदें थीं. माना जा रहा था कि कुछ क्रांतिकारी कदम उठाकर सरकार देश को विकास के नए रास्ते पर ले चलेगी. बजट में बुनियादी ढांचे के विकास और सस्ते मकानों को लेकर सरकार ने कुछ बड़े एलान किए भी हैं.
हालांकि सरकार ने पहली बार घर खरीदने वालों को इनकम टैक्स के मोर्चे पर कोई बड़ी रियायत नहीं दी. न ही बजट में हाउसिंग लोन और हाउसिंग लोन इंश्योरेंस पर टैक्स सेविंग देने की कोई घोषणा की गई. घर के किराए में मिलने वाली रियायत की दर भी नहीं बढ़ाई गई.
वैसे सरकार ने कम आमदनी वाले लोगों को इनकम टैक्स की कुछ रियायत जरूर दी है. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा लेने वालों के लिए भी कुछ रियायतों का एलान किया है. मध्यम आय वाले लोगों के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम शुरू करने के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने का एलान जरूर किया है. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कर्ज की मियाद भी पंद्रह से बढ़ाकर बीस साल कर दी गई है.
सरकार ने 2019 तक एक करोड़ सस्ते मकान बनाने का भी एलान किया है. ताकि ग्रामीण इलाकों और बेघर लोगों को मकान मुहैया कराए जा सकें. प्रधानमंत्री आवास योजना का फंड भी ग्रामीण इलाकों के लिए 15 हजार करोड़ से बढ़ाकर 23 हजार करोड़ कर दिया गया है. साथ ही सस्ते मकानों को अब बुनियादी ढांचे का दर्जा भी दे दिया गया है.
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ये बहुत अहम कदम है. क्योंकि इससे सस्ते मकान बनाने वालों को आसानी से पूंजी मिल सकेगी. हालांकि विदेशी निवेश पर निर्भर लोगों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. साथ ही घर कर्ज को नेशनल हाउसिंग बैंक से रिफाइनेंस कराने का रास्ता खुलने से भी रियल्टी सेक्टर को राहत मिलेगी.
बजट में घोषित नये नियमों के तहत बिल्डरों को बिना बिके मकानों पर टैक्स भरने के लिए एक साल का वक्त मिलेगा. साथ ही मकान बनाने वाले बिल्डर्स की आमदनी को कैपिटल गेन्स मानने की मियाद तीन साल से घटाकर दो साल कर दी गई है. इससे भी रियल्टी सेक्टर को फायदा होने की उम्मीद है.
सस्ते मकानों को मिलने वाली रियायत अब 30 वर्ग मीटर और 60 वर्ग मीटर कारपेट एरिया वाले मकानों को मिलेगी. पहले ये रियायत कुल एरिया के हिसाब से तय होती थी. 30 वर्ग मीटर की रियायत सिर्फ देश के चार मेट्रो शहरों में नगर निगम के दायरे में आने वाले मकानों पर ही लागू होगी. इस दायरे से बाहर के मकानों और छोटे शहरों में सस्ते मकान 60 वर्ग मीटर कारपेट एरिया वाले मकान ही माने जाएंगे. इस नए नियम से फायदा ये होगा कि और मकान सस्ते मकान के दर्जे के अंदर आएंगे.
सस्ते मकान बनाने वालों को इन ऐलानों से फायदा होगा
- पहले उन्हें सस्ते मकान वाले प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए 3 साल का वक्त मिलता था. अब उन्हें 2 साल का समय और मिल गया है.
- साझा प्रोजेक्ट वाले डेवेलपर्स को कैपिटल गेन्स टैक्स देने के लिए प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद एक साल का वक्त मिलेगा. ये जमीन के मालिकों के लिए भी फायदेमंद होगा. इससे जमीन की कीमतें कम होने की उम्मीद है. इसका फायदा मकान खरीदने वालों को भी मिलेगा.
बुनियादी ढांचे के विकास के मोर्चे पर बजट में 3 लाख 96 हजार 135 करोड़ रुपए खर्च करने का एलान किया गया है. साथ ही नेशनल हाईवे बनाने के लिए अब 57 हजार 676 करोड़ के बजाय सरकार 64 हजार करोड़ खर्च करेगी.
बजट में ग्रामीण इलाकों में रोज 133 किलोमीटर की दर से सड़कें बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. 2011-14 के बीच हर दिन 73 किलोमीटर सड़कें बनाने का टारगेट था. सरकार ने बजट में नई मेट्रो रेल नीति बनाने का एलान भी किया है.
विदेशी निवेश के मोर्चे पर बड़ा कदम ये उठाया गया है कि फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड यानी (एफआईपीबी) को खत्म कर दिया गया है. अगले कुछ महीनों में इसकी जगह कोई नई नीति की घोषणा की जाएगी. इससे रियल एस्टेट सेक्टर के कारोबारियों को ज्यादा निवेश हासिल करने में सहूलत होगी.
सरकार नई विदेशी निवेश नीति पर काम कर रही है, जिसमें और खुलापन लाने की उम्मीद है.
( लेखक अनुज पुरी जेएलएल इंडिया के चेयरमैन और कंट्री हेड हैं )
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