पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद सरकार ने कैश में लेन-देन की जगह डिजिटल ट्रांजैक्शन पर जोर दिया है.
कैशलेस इकॉनोमी के एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए सरकार इस दिशा में कुछ और राहतों की घोषणा कर सकती है. बजट 2017 में सरकार एक खास सीमा से अधिक बैंकों से कैश निकालने पर टैक्स लगा सकती है.
सरकार यह प्रस्ताव आने वाले केंद्रीय बजट में ला सकती है. यह प्रस्ताव काले धन वालों को पकड़ने और इकॉनोमी में कैश में लेन-देन की कमी के लिए लाया जा सकता है.
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काले धन में लेन-देन को पकड़ने के लिए इससे पहले 1 जून 2005 से 1 अप्रैल 2009 तक यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स (बीसीसीटी) लागू किया था.
इसके तहत बचत खातों से की गई निकासियों को छोड़कर अन्य तरह की निकासियों पर 0.1 फीसदी का टैक्स लगाया गया था. यह टैक्स व्यक्तिगत और हिंदू संयुक्त परिवार द्वारा 50000 रुपए से अधिक की निकासी और संस्थाओं के लिए 1 लाख से अधिक की निकासी पर लगता था.
हालांकि यह नियम 2008-09 के बजट में खत्म कर दिया गया. इसे खत्म करने की वजह यह कही गई कि टैक्स डिपार्टमेंट के पास काले धन की जानकारियों को जानने के अन्य आसान स्रोत भी हैं.
लागू हो सकता है नए रूप में बीसीसीटी
मोदी सरकार कैश ट्रांजैक्शन को कम करने और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने लिए इस पुराने नियम को और कड़ाई के साथ दुबारा ला सकती है.
इकनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक काले धन पर काबू करने के लिए बनी एसआईटी की टीम ने सरकार से सिफारिश की है कि 3 लाख से अधिक की नकद निकासी को बैन कर दिया जाए. एसआईटी ने सरकार से यह भी गुजारिश कि है यह नियम भी बनाया जाए कोई एक व्यक्ति अपने पास 15 लाख से अधिक कैश नहीं सकता है.
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पार्थसारथी शोमे के नेतृत्व वाली ‘टैक्स एडमिनिस्ट्रेटिव रिफार्म कमीशन (टीएआरसी)’ ने भी इससे पहले 2014 में काले धन पर लगाम लगाने के लिए बीसीसीटी को फिर से लागू करने की सिफारिश की थी.
इस तरह के टैक्स को लगाने से कैश में काले धन को जमा रखने वालों पर नजर रखना तो आसान होगा. इसके अलावा भारी मात्रा में होने वाले कैश में लेन-देन पर भी लगाम लगेगी.
आलोक कुमार ने कहा, ‘फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. यदि निर्णय आशानुरूप नहीं आता है तो संसद द्वारा कानून बनाकर समस्या का समाधान निकाला जाएगा.'
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