देश का सबसे लंबा रेल और रोड ब्रिज बनकर तैयार हो गया है. दो मंजिला बने इस पुल पर एक साथ ट्रेन और गाड़ियां दौड़ सकती हैं. असम में डिब्रूगढ़ के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज का उद्घाटन 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार इस पुल को बोगीबील ब्रिज का नाम दिया गया है. इस पुल को तैयार करने में तकरीबन 5900 करोड़ रुपए की लागत आई है.
Dibrugarh: Visuals from Bogibeel Bridge which will be inaugurated by Prime Minister Narendra Modi on December 25. #Assam pic.twitter.com/gmabH3Rr92
— ANI (@ANI) December 24, 2018
4.94 किलोमीटर लंबा रेल/रोड ब्रिज भारत को अब नई ताकत देगा
असम में ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबील ब्रिज भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 4.94 किलोमीटर लंबा रेल/रोड ब्रिज भारत को अब नई ताकत देगा. खासकर अरुणाचल प्रदेश सीमा से सटे होने के कारण सामरिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण है. इस पुल के शुरू होने से भारतीय सेना को जवानों के ट्रांसपोर्ट में बड़ी मदद मिलेगी. बता दें कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य और चीन करीब 4000 किलोमीटर लंबा बॉर्डर साझा करते हैं. इसका करीब 75 फीसदी हिस्सा सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में है.
असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र के उत्तर की तरफ जाना आसान हो जाएगा
भारतीय रेल के इस पुल की आधारशिला साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी और 2007 में इसे नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया गया था. हालांकि पिछले 4-5 साल से इसके निर्माण में काफी तेजी आई. इसके चलते असम के डिब्रूगढ़ जिले में ब्रह्मपुत्र के उत्तर की तरफ जाना आसान हो जाएगा जिसमें अरुणाचल प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण है. अरुणाचल प्रदेश और पूरे उत्तर पूर्वी भारत के चुनौतीपूर्ण भूगोल को देखते हुए बोगीबील ब्रिज इस इलाके में रेल लाइन के विकास की एक नई शुरुआत भी है.
यह भारत का सबसे लंबा रेल/ रोड ब्रिज है
ब्रह्मपुत्र नदी की चौड़ाई 10.3 किलीमेटर है लेकिन रेलवे पुल बनाने के लिए यहां आधुनिक तकनीक लगाकर पहले नदी की चौड़ाई कम की गई और फिर इस पर करीब 5 किलोमीटर लंबा रेल/रोड ब्रिज बनाया गया. यह भारत का सबसे लंबा रेल/ रोड ब्रिज है. फिलहाल यहां से 450 किलीमेटर दूर गुवाहाटी में ही ब्रह्मपुत्र को पार करने के लिए नदी पर पुल मौजूद है जबकि सड़क पुल भी यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर है. सूत्रों की मानें तो इस ब्रिज को बनाने में इंजीनियरों को कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है. उन्हें यहां मार्च से लेकर अक्टूबर तक होने वाली बारिश के बाद ही काम करने का समय मिला है.
पहली बार रेलवे ने स्टील गर्डर का इस्तेमाल कर इतना बड़ा पुल बनाया है
इसके अलावा नदी के पानी के भारी दबाव में होने के नाते किसी भी तरफ से मिट्टी का कटाव शुरू हो जाता है और कहीं भी टापू बन जाता है ऐसे में काम करना या फिर लोकेशन बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है लेकिन इन सबसे निबटकर पहली बार रेलवे ने स्टील गर्डर का इस्तेमाल कर इतना बड़ा पुल बनाया है. इस पुल में कहीं भी रिपीट नहीं लगाया गया बल्कि हर जगह लोहे को वेल्ड किया गया है जिससे इसका वजन 20% तक कम हो गया और इससे लागत में भी कमी आई है. इस पुल की मियाद 120 वर्ष है यानी 120 साल तक यह सारी आपदाओं को झेल सकती है. इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी. इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा. इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी.
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