सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए एम खानविलकर ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपए के बोफोर्स भुगतान मामले की सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया.
जस्टिस खानविलकर, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ का हिस्सा थे. उन्होंने मामले की सुनवाई से अलग रहने का विकल्प चुनने का कोई कारण नहीं बताया. इस पीठ में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे.
पीठ ने कहा कि मामले की 28 मार्च को सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन किया जाएगा. बीजेपी नेता अजय अग्रवाल ने अदालत के इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई इस पीठ को करनी थी.
इस मामले में सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने 2005 में सभी आरोप निरस्त कर दिए थे. इस फैसले में हाईकोर्ट ने यूरोप में रह रहे उद्योगपति हिन्दुजा बंधुओं और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सारे आरोप निरस्त कर दिए थे.
सीबीआई द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देना काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि हाल ही में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 12 साल बाद अपील दायर नहीं करने की सलाह दी थी. हालांकि विचार विमर्श के बाद विधि अधिकारी अपील दायर करने के पक्ष में हो गए क्योंकि सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य उनके सामने रखे.
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