भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ये कहकर विवादों को जन्म दे दिया है कि अगर पड़ोसी देश मालदीव के अगले आम चुनावों में कोई धांधली होती है तो भारत को इस देश पर हमला कर देना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने स्वामी के इस बयान को निजी बताकर इससे खुद को अलग कर लिया है. वहीं मालदीव इस बयान से भड़क गया है. मालदीव के विदेश सचिव अहमद सरीर ने भारतीय हाई कमिश्नर अखिलेश मिश्रा को इस रविवार समन किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक विदेश सचिव अहमद सरीर ने इस बयान की आलोचना की है और मालदीव की सरकार ने भी इस घटना को आश्चर्यजनक बताया है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार को ट्वीट किया था कि अगर 23 सितंबर को होने वाले मालदीव के आम चुनावों में कोई धांधली होती है तो भारत को इस देश पर हमला कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मालदीव की वर्तमान सरकार को उनके इस बयान से इतनी परेशानी क्यों हो रही है? मालदीव में वैसे भी भारतीयों को प्रतिहिंसा का शिकार होना पड़ रहा है. हम अपने नागरिकों की सुरक्षा करनी है.
Why is the present Govt of Maldives upset by my “If then” statement that if Maldive’s Sept 24th general election is rigged then India should invade that nation? Already Indians in that nation are fearing reprisals. We have to protect our citizens.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 26, 2018
दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने पिछले बुधवार को कोलंबो में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद के साथ एक बैठक की थी, जिसमें नाशीद ने आशंका जताई थी कि सितबंर में होने वाले आम चुनावों में वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी की तरफ से धांधली की जा सकती है. इसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने हमला करने का बयान दिया था.
उनके बयान का विरोध करने वालों को जवाब में उन्होंने कहा था कि भारत ने मालदीव को 1988 में तमिल टेरेरिस्ट्स की घुसपैठ से बचाया था. तब आपने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. उन्होंने कहा कि आज भारतीयों को मालदीव छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है. अगर यहां के चुनावों में धांधली हुई तो मालदीव इस्लामिक आतंकवादी बन जाएगा.
: Don’t rig the election . We saved you all in 1988 from Tamil terrorists by Indian armed forces invading Maldives. That time you did not object.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 24, 2018
India invaded when SL Tamil Terrorist PLOTE infiltrated Maldives in 1988 took it over. India restored Maldivian Rule. Today Indian citizens working in Maldives are being asked to leave. If election is rigged then Maldives may become Islamic terrorist
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 26, 2018
विदेश मंत्रालय ने उनके इस बयान पर कहा कि ये उनका निजी बयान है. भारत किसी भी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता.
बता दें कि मालदीव और भारत के संबंध पिछले कुछ वक्त से खराब ही होते जा रहे हैं. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने फरवरी में देश में आपातकाल की घोषणा की थी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जेल में बंद विरोधी नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद यामीन ने इन जजों को गिरफ्तार करवा लिया और देश में आपातकाल की घोषणा करवा दी. यामीन के इस कदम की विश्वभर में आलोचना हुई थी. भारत ने दोनों देशों के नाजुक संबंधों को देखते हुए सधा हुआ बयान दिया था कि भारत किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता है लेकिन मालदीव को लोकतंत्र की मूल भावनाओं के बारे में सोचना चाहिए.
यामीन पिछले कुछ वक्त से भारत की बजाय चीन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. पिछले महीनों में मालदीव ने चीन और पाकिस्तान का सहारा लेकर भारत को कई झटके दिए हैं. अप्रैल महीने में मालदीव ने भारत की ओर से दिए गए 2 नौसेना के हेलीकॉप्टरों में से एक भारत को वापिस ले जाने को बोला था. हेलिकॉप्टर वापस करने और भारतीय कामगरों को परमिट न देने के बाद मालदीव ने ऊर्जा क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. पाकिस्तान के जनरल कमर बाजवा ने भी यहां अप्रैल में दौरा किया था. चीन भी माले को काफी सैन्य सहायता उपलब्ध करवा रहा है इसलिए इस दिशा में भारत को काफी सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है.
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