पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 28000 दुर्गा पूजा समितियों को ममता सरकार द्वारा पैसे दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि यह मामला चलने लायक नहीं है.
अदालत ने बुधवार को इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मामला विधायिका के तहत आता है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस देबाशीष कर गुप्ता और जस्टिस सम्पा सरकार की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के खर्च के संबंध में फैसले लेने के लिए विधायिका उचित मंच है.
अदालत द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को धनराशि देने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका का निपटारा किए जाने के साथ ही धनराशि वितरण पर लगी अंतरिम रोक समाप्त हो गई है.
ममता ने 28 करोड़ के पैकेज का किया था ऐलान
10 सितंबर को ममता बनर्जी ने पूजा समितियों और पुलिस को संबोधित करते हुए दुर्गा पूजा के लिए 28 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था. इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की थी कि कोलकाता नगर निगम की तरफ से लगने वाला टैक्स और पूजा पंडाल के लिए लाइसेंस फीस भी नहीं ली जाएगी. ममता बनर्जी ने कोलकाता के 3000 पूजा समितियों और राज्य के 25000 अन्य समितियों के लिए 10 हजार रुपए की घोषणा की थी.
19 सितंबर को मुख्यमंत्री के इस फैसले पर कोलकाता हाईकोर्ट कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट की डिविजन बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि राज्य सरकार किस आधार पर पब्लिक का पैसा पूजा समिति को दे रही है. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा था कि क्या इसके लिए कोई दिशा निर्देश भी है.
2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता पाने के बाद से अबतक ममता बनर्जी की सरकार ने 600 करोड़ रुपए पूजा समितियों और तमाम क्लबों को दिए हैं.
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