महाराष्ट्र में पुणे से सटे भीमा कोरेगांव में इस साल की शुरुआत में भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की. पुलिस ने इस दौरान माओवादियों से संबंध रखने के शक में और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में कथित भागीदारी के लिए हैदराबाद में रह रहे क्रांतिकारी लेखक और माओवादी विचारक वरवर राव समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुणे की एक पुलिस टीम ने वरवर राव के रिश्तेदार और दोस्तों के घर में तलाशी के बाद गिरफ्तार किया है. वरवर को मेडिकल चेक-अप के लिए सरकार संचालित गांधी अस्पताल ले जाया गया है. उन्हें पुणे में स्थानांतरित करने से पहले यहां एक अदालत के समक्ष पेश किए जाने की संभावना है.
हालांकि, राव ने मीडिया से कहा था कि उनका उस पत्र से कोई लेना देना नहीं जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश का उल्लेख है. हालांकि, राव ने स्वीकार किया कि वह गडलिंग और विल्सन को जानते हैं. राव ने कहा, 'मैं इस बात से इनकार नहीं करुंगा कि मैं उन लोगों को नहीं जानता जिन्हें पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था.'
3 नवंबर 1940 को वारंगल के तेलुगु ब्राम्हण परिवार में जन्मे वरवर राव ने ओस्मानिया युनिवर्सिटी से तेलुगू लिटरेचर में मास्टर्स किया था. राव ने कई कवियों के पौराणिक कथाओं को संपादित करने के अलावा अपने 15 कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं और बाद में Captive Imagination: Letters from Prison किताब भी लिखी.
उनकी कविता का लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है. मलयालम, कन्नड़, हिंदी, बंगाली. हिंदी और बंगाली साहित्यिक पत्रिकाओं ने उनकी कविता और लेखन के कुछ विशेश हिस्से प्रकाशित किए हैं.
नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप
मामले में गिरफ्तार वामपंथी विचारक वरवर राव पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप कई बार लग चुके हैं. एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि हम एकता लाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि फासीवादी ताकतों से लड़ने के लिए एकता की जरूरत होती है.
वैज्ञानिक और दार्शनिक दर्शन कम्युनिस्ट ही दे सकते हैं
कवि और पत्रकार वरवर का मानना है कि वैज्ञानिक और दार्शनिक दर्शन कम्युनिस्ट ही दे सकते हैं. क्योंकि वे समानता की बात करते हैं. वरवर के अनुसार खेतों पर हक काम करने वाले किसान का है जो दिन-रात मेहनत करता है. उन्होने कहा था कि सोवियत संघ के टूटने जैसी दूसरी घटनाओं से हमने सबक लिया है. आदिवासियों के पास पानी, जमीन होना चाहिए.
बता दें कि पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. हिंसा के लिए यलगार परिषद पर भी आरोप लगाया गया था. भीमा-कोरेगांव में जनवरी हुई हिंसा में पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद चौंकानेवाला खुलासा हुआ था.
पुणे पुलिस को एक आरोपी के घर से ऐसा पत्र मिला था, जिसमें राजीव गांधी की हत्या जैसी साजिश का ही जिक्र किया गया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात भी लिखी थी.
(साभार न्यूज18)
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