भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से जुड़े कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र में भड़की जातीय हिंसा की आग अभी तक नहीं थमी है. इस हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र बंद का आह्वान करने वाले प्रकाश अंबेडकर लगातार चर्चा में बने हुए हैं. प्रकाश अंबेडकर देश के संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के पौत्र हैं. प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र के मौजूदा हालात को देखते हुए बुधवार शाम 4.15 बजे ही बंद को वापस ले लिया था.
महाराष्ट्र बंद को वापस लेने के बाद प्रकाश अंबेडकर ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, 'मेरे हाथ और मेरे वश में जो कुछ भी था, उससे मैंने हालात को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की. बुधवार को बंद के दौरान राज्य में किसी भी तरह का बड़ा नुकसान नहीं हुआ. अब कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों में है. महाराष्ट्र की स्थिति को अब वह ही नियंत्रित कर सकते हैं.'
'कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं'
पेशे से वकील और भारिपा बहुजन महासंघ (बीबीएम) के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने बताया कि जातीय हिंसा के खिलाफ महाराष्ट्र बंद सिर्फ एक दिन के लिए ही था, यही वजह है कि बंद को बुधवार शाम वापस ले लिया गया. अंबेडकर ने आगे बताया कि राज्यव्यापी बंद का आह्वान करने से पहले मंगलवार रात को उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस से बात की थी. अंबेडकर के मुताबिक, 'मेरा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.'
प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि मुंबई और औरंगाबाद में हुई दो अप्रिय घटनाओं के अलावा पूरे महाराष्ट्र में बंद शांतिपूर्वक रहा. बंद के दौरान उत्पात न करने पर अंबेडकर ने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा, 'भावनाओं के उबाल के समय भी शांत रहकर विरोध जताने वाले प्रदर्शनकारियों को मैं बधाई देना चाहता हूं.' अंबेडकर ने दावा किया कि राज्य की करीब 50 फीसदी जनता ने जातीय हिंसा के खिलाफ उनके बंद में हिस्सा लिया.
'भिड़े और एकबोटे को गिरफ्तार किया जाए'
प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री फडणवीस से अपील की है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए. प्रकाश अंबेडकर के मुताबिक, 'महाराष्ट्र के शांतिपूर्ण समाज में हिंदूवादी संगठन नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. मैं राज्य सरकार और मुख्यमंत्री फडणवीस से अपील करता हूं कि वह भिड़े और एकबोटे को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाएं. अगर याकूब मेमन के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है तो, फडणवीस के निर्देशों पर काम कर रहा राज्य का गृह मंत्रालय उसी सेक्शन के तहत भिड़े और एकबोटे के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं कर रहा है? मैं दलित समुदाय पर हमला करने के लिए लोगों को उकसाने वाले भिड़े और एकबोटे की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करता हूं.'
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अंबेडकर के मुताबिक, 'पुणे में सोमवार को जिस वक्त भीमा कोरेगांव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ मनाई गई, तब समारोह स्थल की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस वालों की संख्या बेहद कम क्यों थी?' अंबेडकर ने आरोप लगाया कि भिड़े और एकबोटे ने 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में इकट्ठा हुए दलित लोगों के खिलाफ भीड़ को उकसाया था. अंबेडकर ने साफ कहा है कि जब तक भिड़े और एकबोटे सलाखों के पीछे नहीं पहुंचेंगे, तब तक वह उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे.
अंबेडकर का कहना है कि, 'सांप्रदायिक तनाव के चलते राज्य में लोग बेहद चिंतित हैं. सदियों से हाशिए पर पड़े समुदाय से आज राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर सवाल पूछे जा रहे हैं. दक्षिण पंथी संगठन समाज के लिए बेहद घातक हैं, देश को उनसे सबसे ज्यादा खतरा है. लोगों को अब यह खुद तय करना होगा कि, वह शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं, या फिर आरएसएस जैसी दक्षिण पंथी विचारधारा से उपजे तनाव भरे माहौल में रहना चाहते हैं.'
'जांच के लिए दलित जज नियुक्त हो'
अंबेडकर के मुताबिक, 'मुख्यमंत्री फडणवीस मामले की न्यायिक जांच का आदेश दे सकते हैं, लेकिन वो महज एक दलित जज को मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त करके हमें संतुष्ट नहीं कर सकते हैं. हम पूरे मामले की विस्तृत जांच कराना चाहते हैं.'
पुणे जिले में 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के समारोह के दौरान हुए हिंसक संघर्ष के विरोध में दलित नेताओं ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था. बंद के चलते मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक और औरंगाबाद समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित रहा.
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महाराष्ट्र की जातीय हिंसा से मुख्यमंत्री फडणवीस खासे चिंतित हैं. उन्होंने टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फडणवीस ने कहा कि, 'हम घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं.' वहीं फडणवीस ने सोशल मीडिया पर भी लोगों से शांति की अपील की है.
बुधवार को बंद के दौरान महाराष्ट्र में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया. वहीं मुंबई में भी बंद का खासा असर देखा गया. यहां सड़क और रेल सेवा लगभग ठप रही, वहीं ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे. यहां तक कि बॉलीवुड में भी बंद का असर नजर आया. पूर्वी और पश्चिमी मुंबई में कुछ जगहों पर बसों, टैक्सी, ऑटो और निजी वाहनों में तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं. लेकिन इन सब के बावजूद अच्छी बात यह रही कि किसी भी शख्स के हताहत होने की खबर नहीं मिली.
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