सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें उसने महाराष्ट्र पुलिस को कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में चार्जशीट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने चार्जशीट दायर कर दी है इसलिए मामले में गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ता अब नियमित जमानत की मांग कर सकते हैं.
Supreme Court sets aside Bombay High Court order refusing to extend the 90-day deadline to file the charge-sheet against five activists in Bhima Koregaon violence case. pic.twitter.com/BAK0WPU8Yn
— ANI (@ANI) February 13, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें उसने मामले में निचली अदालत के फैसले को दरकिनार कर दिया था. निचली अदालत ने राज्य पुलिस को मामले में चार्जशीट दायर करने की अवधि में 90 दिन का विस्तार दे दिया था. मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि वे कानूनी रूप से जमानत के हकदार हैं, क्योंकि महाराष्ट्र पुलिस ने निर्धारित 90 दिन और उसके बाद भी आरोपपत्र दायर नहीं किया.
ऐसी स्थिति में निचली अदालत द्वारा समय सीमा बढ़ाना कानूनी दृष्टि से सही नहीं था. गौरलतब है कि पुणे पुलिस ने माओवादी से कथित संबंधों के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत वकील सुरेंद्र गडलिंग, नागुपर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल के रोना विल्सन को जून में गिरफ्तार किया था.
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