महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बंबई हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. बंबई हाई कोर्ट ने अपने आदेश में भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच पूरी करने की अवधि बढ़ाने के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया था. राज्य सरकार की इस अपील पर 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
हाईकोर्ट ने बुधवार को निचली अदालत के उस फैसले को निरस्त कर दिया था जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को हिंसा के इस मामले में जांच पूरी करने और आरोप-पत्र दायर करने के लिए ज्यादा समय दिया गया था. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कई जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है.
तीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील निशांत कटनेश्वर की इस दलील पर विचार किया कि अपील पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है.
निशांत ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो हिंसा के मामले के आरोपियों के खिलाफ निर्धारित अवधि में आरोप-पत्र दायर नहीं होने के कारण उन्हें वैधानिक जमानत मिल जाएगी. पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की अपील पर 26 अक्टूबर को विचार किया जाएगी.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस की तरफ से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का अनुरोध भी ठुकरा दिया था.
महाराष्ट्र पुलिस ने पांच कार्यकर्ताओं - वरवर राव, अरुण फेरेरा, वर्नोन गॉनसैल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा - को कोरेगांव भीमा हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया था.
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